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किताब का दावा, इन कांग्रेसियों पर नजर रखने के लिए नरसिम्‍हा राव ने ली थी IB की मदद

l_narsimha-rao-1466831776एजेंसी/ नई दिल्ली। लगभग 25 साल पहले 1991 के आखिर में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्‍हा राव आईबी से उन कांग्रेस सांसदों के बारे में जानना चाहते थे जो उनके आर्थिक सुधारों के विरोधी थे। 

राव ने इस बारे में आईबी से एक रिपोर्ट भी मांगी थी। आईबी ने आर्थिक सुधारों के चार मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी उन्हें दी थी। 

ये चार मुद्दे थे- (1) व्यापार और कारोबार का उदारीकरण, उद्योगों से नियंत्रण हटाना, (2) मल्टीनेशनल कम्पनियों और विनिवेश को प्रवेश, (3) निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र को कम करना, (4) खाद्य सब्सिडी में कमी और कृषि नीति। 

इस सूची में राज्य सभा और लोकसभा के उन कांग्रेसी सांसदों के नाम थे जो इन उपायों को अपनाए जाने के विरोध में थे। 

– 55 सांसद व्यापार उदारीकरण के विरोध में, बलराम जाखड़, माधव राव सिंधियां समेत सात मंत्री भी शामिल। 

– 06 कांग्रेस सांसद के के बिरला समेत मल्टीनेशनल कम्पनियों के विरोध में। 

– 18 सांसद सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के निजीकरण के विरोध में। 

– 20 सांसद खाद्य सब्सिडी कम करने के विरोध में। 

आईबी के अलावा राव ने जानकारी के लिए अन्य तरीके भी अपनाए थे। राव ने बार-बार यह कहा था कि उनके कदम नेहरू युग के समाजवाद का एक्सटेंशन ही हैं। 

राजधानी के अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में जब सदस्यों ने इसका विरोध किया तो राव को आमतौर पर चुप रहने वाले वित्त मंत्री मनमोहन सिंह का साथ मिला। 

राव और मनमोहन सिंह ने पूरी दक्षता से आर्थिक सुधारों के बारे में समझाया और इसे राजीव गांधी का विजन बताया। तब जाकर इसमें सफलता मिली। 

अखबार के अनुसार इसके अलावा जुलाई 1995 में जब पहले मोबाइल फोन की शुरुआत की जानी थी तो राव आसानी से इसका श्रेय ले सकते थे, पर उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधी सुखराम को भारत के पहले मोबाइल फोन कॉल करने का आनन्द लेने दिया। 

ये खुलासे राव के व्यक्तिगत पत्रों और 100 लोगों के साक्षात्कार के आधार पर आने वाली किताब – हाऊ लॉयन, हाऊ पी वी नरसिंह राव ट्रांसफॉर्मड का हिस्सा हैं।

 

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