अद्धयात्म

क्योंं न धोएं गुरुवार को बाल!

PART1-300x200चपन से दादा-दादी, नाना-नानी व घर के अन्‍य बड़े बुजुर्ग अक्‍सर कहते रहते हैं कि गुरुवार के दिन बाल नहीं धोने चाहिए। ऐसा क्‍यों होता हैं? आखिर क्‍यों नहीं धोने चाहिए गुरुवार को बाल? अगर आप नहीं जानते तो आज जरूर जान लें।

क्‍यों है ऐसी मान्‍यता

माना जाता है कि हिन्दू धर्म के विभिन्न देवताओं में से एक देवता बृहस्पति भी हैं, जिन्हें खास रूप से गुरुवार के दिन ही पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि गुरुवार के दिन बाल धो लिए जाएं तो ऐसे में भगवान बृहस्पति की कृपा उस जातक से उठ जाती है।

क्‍या होता है असर

उसकी ज़िंदगी में धन की हानि होती है एवं साथ ही सुख-समृद्धि के क्षेत्र में भी वह असफलता ही पाता है। लेकिन कुछ लोग इस तथ्य को महज़ अंधविश्वास मानते हैं। परन्तु इस तथ्य के पीछे छिपी कहानी इसे सही साबित करती है।

क्‍या है इसके पीछे की कहानी

कहते हैं एक बार एक काफी अमीर शख़्स हुआ करते थे। वे और उनकी पत्नी एक सुखी जीवन व्यतीत करते थे, उन्हें किसी प्रकार की कोई आर्थिक कमी नहीं थी। लेकिन वह महिला दान-पुण्य के मामले में थोड़ी कुटिल थी। एक दिन उनके दरवाज़े पर एक साधु भिक्षा मांगने आए।

उस समय उस महिला के पति घर पर नहीं थे तो उसने साधु को ये कहकर दरवाज़े से लौट जाने के लिए कहा कि वह घर के कार्यों में कुछ व्यस्त है, कृपा करके वह थोड़ी देर बाद दोबारा आए। लेकिन यह दृश्य एक बार नहीं कई बार दोहराया गया। रोज़ाना वह साधु वहां आते और भिक्षा मांगते, लेकिन हमेशा की तरह वह स्त्री उन्हें वही बहाना बनाकर जाने को कहती।

तो एक दिन साधु ने पूछ ही लिया कि बताएं आप कब कार्यों को छोड़ मुझे दान देंगी, तो जवाब में महिला ने कहा कि जब तक मेरे पास ढेरों कार्य हैं, मैं तुम्हें भिक्षा नहीं दे सकती। तो साधु ने उत्तर में कहा कि प्रत्येक गुरुवार को अपने बाल धो लो, तुम इन सभी कार्यों से जल्द ही मुक्त हो जाओगी।

उस महिला ने साधु की इस सलाह के पीछे छिपी गहराई पर गौर तो नहीं किया, लेकिन नियमित रूप से हर गुरुवार को बाल धोना आरंभ कर दिया। और धीरे-धीरे उनकी सारी संपत्ति पानी के बहाव की तरह खत्म होती चली गई। वे इतने गरीब हो गए कि उनके पास खाने को एक वक्त की रोटी भी नहीं थी।

तभी एक दिन फिर दोबारा वह साधु वहां आया और भिक्षा मांगी, तो महिला ने बताया कि उनके पास स्वयं के खाने के लिए भी भोजन नहीं है तो वह उन्हें क्या खिलाएगी। बाद में पति-पत्नी दोनों को ज्ञात हुआ कि वह साधु कोई और नहीं वरन् स्वयं भगवान बृहस्पति थे, जो उन्हें दान-पुण्य का पाठ पढ़ाने के लिए वहां आए थे।

इसी कहानी के आधार पर यह मान्यता उत्पन्न हो गई कि कभी भूलकर भी गुरुवार को अपने बालों में पानी ना डालें। साथ ही भगवान बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करें, पीले फूलों से उनकी पूजा करें एवं भोजन में पीले रंग के पकवान ही बनाएं।

 

 

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