उत्तर प्रदेश

घटना स्थल की हकीकत खोल रही है पुलिसिया कहानी की पोल

रायबरेली। प्रदेश में अपराधियों के मन से पुलिस और कानून का खौफ इस कदर गायब है तथा पुलिस की कार्यप्रणाली कितनी लाचार और अपराधियों के मनोबल को बढ़ाने वाली हैए यह ऊचाहार में पांच लोगों को दरिंदगी के साथ मारने और मारकर तथा कुछ को जिंदा ही जला डालने की घटना से समझा जा सकता है। आरोपियों की गढ़ी हुई कहानी और पुलिस की शुरूआती तहकीकात जो पुलिस ने पत्रकारों को बताई उसकी मौके पर मौजूद तथ्यए पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा सामने आने से बचने वाले प्रत्यक्षदर्शियों के बयान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। शुरू में आरोपियों ने घटना को अंजाम देने के बाद बहुत ही ठण्डे दिमाग से बनाई हुई योजना के तहत पुलिस और कुछ चुनिंदा पत्रकारों को खुद ही सूचना दी। सूचना के मुताबिक मृतक आरोपियों के यहां हत्या के इरादे से पहुंचे थे। परंतु आरोपियों के परिजनों और गांव वालों की सतर्कता के कारण वह वहां से भागने को मजबूर हो गये। गांव की भीड़ ने उन्हें दौड़ाया तो उनकी गाड़ी बिजली के खम्भे से टकराई और पलट गयी। बिजली के तार टूटने के कारण गाड़ी में आग लग गयी और सभी सवार मय गाड़ी के साथ खाक हो गये।
यह कहानी थोड़ी देर लोगों को भ्रम में रखने में सफल रही। मगर जैसे ही मामले की तह में पहुंचने की कोशिश की गयी कहानी की हकीकत सामने आने लगी। जिस बिजली के खम्भे से सफारी के टकराने की बात बताई जा रही थी उस खम्भे के पांच टुकडे मौका.ए.वारदात पर पड़े हुये हैं। जली हुई सफारी के टकराने से बिजली आरसीसी पोल इतनी बुरी तरह नहीं टूट सकता। यदि सफारी पोल से टकराई होती तो सफारी का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त होता। परंतु ऊचाहार थाने में खड़ी जली हुई सफारी के आगे का बम्फर कहीं से टकराने का संकेत नहीं दे रहा है। बल्कि बम्पर अपनी वास्तविक स्थिति में गाडी में लगा हुआ है। जिन तीन तारों में बिजली का प्रवाह रहता है वह तार नहीं टूटे हैं। बल्कि अर्थिंग वायर टूटा है तथा उसके ऊपर लपेटी हुई घरेलू बिजली की एक पतली केबिल भी टूटी है। जानकारों का कहना है कि इन दोनों तारों के टूटने से गाड़ी में आग नहीं लग सकती है। सूत्रों का कहना है कि जिस समय की घटना बताई जा रही है उस समय संबंधित लाइन में बिजली नहीं आ रही थी। अतः इस तथ्य से भी साफ है कि बिजली के पोल से न तो सफारी टकराई और न ही तार टूटने से उसमें आग लगी। मौका.ए.वारदात पर एक जोड़ी बिना जले स्पोर्ट्स जूते और बिना जली चप्पल पड़े हुये थे। जिनके बारे में बताया गया कि यह जूते.चप्पल मृतकों के हैं। यदि सभी मृतक जलकर मरे तो उनके जूते.चप्पल बिना जले कैसे रह गये। मृतकों की गाड़ी और उनके पास से किसी तरह का कोई असलहा भी बरामद नहीं हुआ। आरोपियों द्वारा यह बताया जाना कि मृतक उनके यहां हत्या के इरादे से आये थे और उनके घर पर फायरिंग भी की। परंतु जब मृतकों के पास असलहे नहीं थे तो उन्होने फायरिंग कैसे की। साफ जाहिर है कि यह तथ्य भी मनघडंत है।
आरोपियों के घर पर है अंदर से चली गोलियों के निशान
रायबरेली। पुलिस अपराधों को छुपाने के लिये कैसे.कैसे झूठे किस्से गढ़ लेती है इसका एक नमूना अपटा गांव में हुये सामूहिक नरसंहार प्रकरण में भी देखने को मिला है। जहां पुलिस के झूठ के पुलिंदे की बखियां स्वयं वहां पहुंची फोरेंसिक टीम ने उखाड़ी है। सूत्रों के अनुसार इस जघन्य हत्या कांड की फोरेंसिक जांच की जिम्मेदारी वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रमोद कुमार श्रीवास्तव एवं वैज्ञानिक प्रतिभा त्रिपाठी को सौपी गयी थी। उन्होंने अपने अन्य सहयोगियों के साथ घटनास्थल एवं आरोपी ग्राम प्रधान के घर का सूक्ष्म निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने वहां से कुछ फोरेंसिक नमूने एकत्रित किये। जिसकी जांच प्रयोगशाला में कराई जायेगी। जानकार बताते हैं कि उन्होंने अपनी प्रथम रिपोर्ट में ग्राम प्रधान के घर पर पाये गोलियों के निशान के एंगिल एवं निशानों की गहराई के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि वहां पाये गये गोलियों के निशान अंदर की ओर से चलायी गयी गोलियों के हैं। यहीं नहीं उनकी प्रथम जांच रिपोर्ट में भी गाड़ी को जलाने की संभावना व्यक्त की गयी है।   

उल्लेखनीय है कि थाना क्षेत्र ऊंचाहार के इटौराबुजुर्ग गांव में वर्चस्व को लेकर उपजी रार से ह्रदयविदारक घटना हो गई जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई। आरोप है कि इनमें तीन को पीट-पीट कर व दो को वाहन में आग लगाकर जला दिया गया है। मामले में मृतक के भाई की तहरीर पर पुलिस ने 3 प्रधान पुत्रों, एक पूर्व प्रमुख समेत आठ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर पड़ताल कर रही है।

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