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दादरी हत्याकांड: बीफ कांड का जिन्न फिर बाहर निकला, सरकार पर तथ्य छिपाने के आरोप

यूपी के बहुचर्चित दादरी के बीफ कांड का जिन्न बोतल से एक बार फिर से बाहर आ गया है. बीजेपी समेत तमाम राजनैतिक दल मृतक अखलाक के घर से निकले मीट को लेकर एक दूजे पर साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाते रहे. बहरहाल, 8 महीनों के लंबे इंतजार के बाद फॉरेंसिक जांच के नतीजे में अखलाक के घर में मिले मांस के गाय अथवा उसके बछड़े के मांस होने की पुष्टि हो गई है. इससे सूबे में राजनीतिक तूफान मच गया है.

 

दादरी हत्याकांड: बीफ कांड का जिन्न फिर बाहर निकला, सरकार पर तथ्य छिपाने के आरोप

अखलाक की हत्या के तुरंत बाद अखिलेश सरकार ने पीड़ित परिवार को लखनऊ बुलाया था और मुआवजा देकर उनके आंसू पोंछे थे. 20 लाख रूपये नकद, बीमारी का बेहतर इलाज, नोएडा में फ्लैट. लेकिन अब फ्रिज के मांस के गोमांस होने की पुष्टि के बाद प्रदेश की अखिलेश सरकार के इन कदमों पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

अपराध मामलों के जानकार एडवोकेट रविन्द्र राजौरा ने बताया कि गौ-हत्या कानूनन अपराध है. अखलाक के घर में गौ-वध हुआ और पुलिस ने गौ-मांस की बरामदगी भी की. फोरेंसिक जांच रिपोर्ट से तय हुआ है कि बरामद मीट गौ-मांस था. इसलिए यूपी गौवध निवारण अधिनियम के तहत आरोपियों पर केस दर्ज होना चाहिए. इसके अलावा यह आपराधिक कृत्य गैंगस्टर एक्ट के नये संसोधन के दायरे में भी है. पुलिस केस दर्ज करके निष्पक्षता से इनके खिलाफ कार्रवाई करे.

जिला शासकीय अधिवक्ता मोहम्मद शारिक बताते है कि किसी को गैंगस्टर एक्ट (नये संसोधन) के दायरे में लाये जाने से पहले यह जरूरी है कि पुलिस इस बात की तस्दीक करे कि वह पहले से दो या दो से अधिक अपराधों में इतने ही लोगो के साथ अपराध में लिप्त है अथवा नही. इसके अलावा क्या गौ-मांस का व्यापारिक प्रयोग किया जा रहा था.
वहीँ बीजेपी के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सरकार ने तथ्यों को छुपाया है. यह रिपोर्ट पहले से ही कोर्ट में पेश थी. सरकार को पता था. अब अखिलेश सरकार को जवाब देना चाहिए कि वह क्या कार्रवाई करती है.

उन्होंने कहा इस रिपोर्ट को छुपाने की साजिश रची गई. रिपोर्ट प्रतिबंधित पशु का मांस था. और वह मांस प्रदेश में प्रतिबंधित है सरकार को अब अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. दादरी के बिसहडा गांव में जो हुआ वह अखिलेश सरकार की नाकामी थी.

क्या अखलाक का परिजनों पर हो सकती है कार्रवाई?

अब सवाल कानून का है. उत्तर-प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम की धारा 2/3 के मुताबिक अब मृतक अखलाक और उसके घर में निवास करने वाले सभी सदस्य गोवध के आरोपी हैं.

इसके अलावा, गैंगस्टर कानून के नए संसोधन के मुताबिक गोवध निवारण अधिनियम के आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगना अनिवार्य है. चाहे गोवध की धाराओं में उनके केस में चार्जशीट अथवा फाइनल रिपोर्ट ही क्यों न लग गई हो.

गोवध निवारण अधिनियम के तहत अधिकतम सजा सात वर्ष है. जबकि गैंगस्टर कानून के नये संसोधन के मुताबिक इसकी अधिकतम सजा 10 वर्ष है. ऐसे में कानून के मुताबिक अखलाक के घर के हर उस व्यक्ति के ऊपर गोवध निवारण अधिनियम और गैंगस्टर एक्ट (संसोधित) की धाराएं लागू होती हैं.

बता दें कि बीफ के शक में पीट-पीटकर अखलाक की हत्या करने वाले 15 आरोपी आईपीसी की धारा 302 के तहत जेल में बंद हैं.

क्या है गैंगस्टर एक्ट?

यहां यह भी जान लेना आवश्यक है कि गैंगस्टर एक्ट के नए संसोधन को हाल ही में राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यूपी में 6 महीने पुराने ऐसे सैकड़ों मामलों में गैंगस्टर एक्ट लगाया गया जो गोवध निवारण अधिनियम, बाल मजदूरी, पशु क्रूरता अधिनियम, यौन शोषण, बंधुआ मजदूरी, भिक्षावृत्ति, मानव व्यापार और जाली नोटो से संबधित अपराधों से संबंधित थे. ऐसे सभी मामलों की पुलिस ने नये सिरे से समीक्षा कर उन मुकदमें के आरोपियों को जेल भेजा है.

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