अद्धयात्म

दिन में मनायी जाती है मथुरा के तीन मंदिरों में जन्माष्टमी

kreमथुरा: तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी के तीन मंदिरों में दिन में जन्माष्टमी मनाई जाती है जबकि नन्दगांव में नन्दबाबा मंदिर में दिन तक कन्हैया को मुकुट धारण नही कराया जाता तथा उनका श्रृंगार बालस्वरूप में ही होता है। नन्दबाबा मंदिर के सेवायत यतीन्द्र गोस्वामी ने आज यहां बताया कि रात 12 बजे बरसाना के गोस्वामी समाज के लोग श्रीकृष्ण जन्म की खुशी में यशोदा मां से लड्डू लेने आते हैं। जन्माष्टमी पांच और छह सितंबर को मनायी जा रही है। जन्माष्टमी के अगले दिन मेहराना, गिड़ोह, बरसाना आदि के लोग नन्दोत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं तथा नन्दगांव में होली जैसा हंसी खुशी का माहौल बन जाता है। पालने में नवजात श्रीकृष्ण के साथ बलराम भी झूलते हैं। वृन्दावन के राधा दामोदर मंदिर में दिन में जन्माष्टमी इसलिए मनाई जाती है कि यहां पर जन्माष्टमी श्रीकृष्ण की जन्मगांठ या वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है। श्रद्धालु जहां इस मंदिर में दिन में जन्माष्टमी मनाये जाने और बाद में चरणामृत पाने की अभिलाषा से आते हैं। इस मंदिर में गिर्राज शिला रखी है जिसे भगवान श्यामसुन्दर ने स्वयं अपने हाथ से सनातन गोस्वामी को यह कहकर गोवर्धन में दिया था कि वह अब वृद्ध हो गए हैं और नित्य गोवर्धन की परिक्रमा न करें तथा जहां पर भी निवास करते हों, इस शिला को रखकर उसकी चार परिक्रमा कर लें। इससे उनकी गिर्राज की एक परिक्रमा पूरी हो जाएगी। सनातन गोस्वामी ने इस शिला को राधा दामोदर मंदिर में स्थापित किया था। इस शिला में भगवान श्रीकृष्ण के चरण, उनकी लकुटी और वंशी के साथ ही सुरभि गाय के खुर के चिन्ह अंकित हैं। मंदिर के सेवायत निर्मलचन्द्र गोस्वामी ने बताया कि मंदिर सिद्धांत और इतिहास नामक पुस्तक के अनुसार 18वीं शताब्दी में महाअभिषेक करने की जो विशिष्ट परंपरा शुरू की गई थी उसी का निर्वहन आज भी किया जाता है। मंदिर के सिंहासन पर विराजमान ठाकुर श्री दामोदर महाराज, ठाकुर वृन्दावन चन्द्र महाराज, ठाकुर राधा माधव महाराज एवं ठाकुर छैल चिकन महाराज के विगृह के अभिषेक के साथ ही गिर्राज शिला का अभिषेक कई मन दूध, दही, शहद, बूरा और घी के साथ ही औषधियों और महाऔषधियों से अनवरत चलने वाले वैदिक मंत्रों के मध्य किया जाता है। अभिषेक के पहले सेवायत गोस्वामी वर्ग अति शुद्धता से यमुनाजल लेकर आता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का पंचामृत पान करने से जीव सम्पूर्ण पापों एवं रोगों से मुक्त होकर ठाकुर के श्रीचरणों की कृपा प्राप्त कर लेता है। इस मंदिर में जन्माष्टमी पर होने वाले अभिषेक के दर्शन के लिए विदेशी कृष्ण भक्तों का जमावड़ा लग जाता है। कार्यक्रम के संयोजक कृष्ण बलराम गोस्वामी ने बताया कि अभिषेक के समय गोस्वामी समाज ठाकुर से भक्तों के कल्याण की याचना करता है। इस मंदिर का महत्व इसलिए भी अधिक है कि वृन्दावन को आध्यात्मिक चेतनादेनेवाले 6 गोस्वामियों में से जीव गोस्वामी द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया

Related Articles

Back to top button