दस्तक-विशेष

दो धड़ों में बंटा मीडिया

Captureयूपी की राजधानी में राज्य मुख्यालय स्तर पर पत्रकारिता करने वाले चाहे वे प्रिंट मीडिया के हों या फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया के, दो धड़ों में बंट चुके हैं। पिछले दिनों दो फाड़ के बाद दो-दो चुनाव हुए और दो कमेटियां बन गयीं। दिलचस्प बात यह है कि सरकार मीडिया के दो फाड़ होते देखकर मन ही मन खुश थी। अफसर भी मौज लेने से नहीं चूक रहे थे। खैर, चुनाव के बाद अब नयी जंग शुरू हो गयी है कि पत्रकारों को कौन सरकार से ज्यादा से ज्यादा सुविधायें दिला सकता है और कौन सी समिति पत्रकारों के साथ हर समय कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती है। एक समिति ने आगे बढ़कर अस्वस्थ चल रहे एक पत्रकार को आर्थिक मदद अपने स्तर से मुहैया करायी तो दूसरी सरकार से उस पत्रकार को आर्थिक मदद और इलाज की सुविधा दिलाने की जोर आजमाइश में जुट गयी। पत्रकारों की इन दो समितियों के बीच चल रही होड़ से अंतत: लाभ तो पत्रकारों का ही होगा। ऐसे में एक वरिष्ठ पत्रकार ने टिप्पणी की कि यदि पत्रकारों का हित होता हो तो ऐसी दो-चार समितियां और बन जायें। ताकि किसी भी पत्रकार को कोई असुविधा न हो।

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