नीतीश ने विधायकों को बांटे जाने वाले उपहार पर लगाई रोक
एजेन्सी/ पटना : बिहार विधानमंडल के बजटीय सत्र के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा दोनों सदनों के सदस्यों को महंगे तोहफे बांटे जाने से उत्पन्न विवाद तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पाण्डये के इन तोहफों को वापस कर दिए जाने के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले वर्ष से इन उपहारों को न बांटे जाने का निर्णय किया।
बिहार विधानसभा स्थित अपने कक्ष में कुछ पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश ने सोमवार को कहा वह कभी भी इसके पक्ष में नहीं रहे और न ही उन्होंने अपने संसदीय जीवन में कभी इन चीजों को ग्रहण किया। सरकारी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर विधायकों को उपहार दिए जाने के पक्ष में कभी नहीं रहे। भाजपा के कुछ सदस्यों के उसे लौटाए जाने ने इस विषय पर उनके रुख को फिर से मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से विधायकों और पाषर्दों के बीच कोई उपहार नहीं बांटे जाएंगे।
नीतीश की यह घोषणा बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी और विधान पाषर्द मंगल पाण्डेय द्वारा विभिन्न विभागों द्वारा दिए गए उपहार यथा मोबाइल फोन, माइक्रोवेव ओवन, सूटकेस आदि को आज लौटाए जाने के कुछ देर के बाद आयी। इससे पूर्व सुशील ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को क पत्र लिखकर कहा कि अनेक वर्ष से बिहार सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा विधायकों एवं पाषर्दों को बिहार विधान मण्डल के सत्र के दौरान उपहार दिये जाने की परिपाटी रही है। वर्तमान सत्र में माइक्रोवेव ओवन सहित विभिन्न विभागों द्वारा करीब 6-7 सूटकेस दिये गये हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखा कि बिहार जैसे गरीब प्रदेश में विधानमण्डल के सदस्यों को विभिन्न विभागों द्वारा उपहार दिये जाने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि इसमें सरकार की बड़ी राशि का व्यय होता है। उपहारों की संख्या अत्यधिक होने के कारण सदस्यों द्वारा उनका सम्यक उपयोग भी नहीं किया जाता है और उन्हें कार्यकर्ताओं एवं अन्य लोगों के बीच वितरित कर दिया जाता है।बिहार की पिछली राजग सरकार में उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री रह चुके सुशील ने नीतीश को लिखे पत्र में उनसे अनुरोध किया है कि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष एवं बिहार विधान परिषद के सभापति के विमर्श से कार्य मंत्रणा समिति की बैठक बुलाकर विभिन्न विभागों द्वारा उपहार दिये जाने की परम्परा पर रोक लगाने सम्बंधी निर्णय किया जाये ताकि इस मद में व्यय होने वाली राशि का उपयोग राज्य के विकास में हो सके। इस बीच इसबीच शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, बिहार विधान परिषद में राजद सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी तथा उनके पुत्र और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भाजपा पर इस मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया है।
चौधरी ने अपने विभाग द्वारा 243 विधायकों और 75 विधान पाषर्दों को उपहारस्वरूप 11,225 रुपये का माइक्रोवेव ओवन दिए जाने का बचाव करते हुए कहा कि यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। उन्होंने भाजपा पर इसको लेकर तुच्छ राजनीति करने तथा मीडिया में स्थान पाने के लिए ऐसा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां तक शिक्षक के बकाया वेतन के भुगतान का मामला है भाजपा सदस्य केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी से मिलकर सर्व शिक्षा अभियान की बकाया राशि को जारी करवा दें ताकि शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान किया जा सके।
मोदी और पाण्डेय के उपहारों को लौटाए जाने के बारे में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लेना ही नहीं चाहिए था अगर लौटाना था तो। इसको लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए और जब ये उपमुख्यमंत्री थे और भाजपा जब सरकार में थी तो सभी विभाग सदन के सभी सदस्यों को उपहार देने का काम किया करते थे। इस परंपरा को उन्होंने भी निभाया था। तेजस्वी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इस मुद्दे को जब कुछ लोग उठाने लगे तो उनके द्वारा अपना उपहार लौटा देने का मतलब क्या है।