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पाकिस्तान, हमारी बुरी आर्थिक हालत के लिए चीन से लिया गया कर्ज जिम्मेदार नहीं

नई दिल्ली : पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से संबंधित कर्ज के विवरण को आईएमएफ के साथ साझा करने को तैयार है| पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने अमेरिका के उस बयान को खरिज किया जिसमें अमेरिका ने कहा था, कि पाकिस्तान की हालिया खराब आर्थिक हालत चीन से लिए गए कर्ज की वजह से हुई है| इंडोनेशिया से लौटने पर मीडिया से बात करते हुए असद उमर ने कहा कि विश्व के कर्जदाताओं से संपर्क करने का फैसला मित्र देशों के परामर्श के बाद लिया गया था| उन्होंने आईएमएफ के प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लागार्दे से पाकिस्तान के लिए बकाया पैकेज के लिए अनुरोध किया है| उमर ने बताया कि आईएमएफ टीम ने 7 नवंबर का दिन पाकिस्तान आने के लिए और बातचीत के लिए निर्धारित किया था, जो आगे तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है| उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की चालू वित्त वर्ष में नौ बिलियन डॉलर का कर्ज था, जो जाहिर है कि आईएमएफ उपलब्ध नहीं करा पाएगा| आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरपर्सन लगार्दे ने स्पष्ट किया है, कि आईएमएफ पाकिस्तान को देने वाले कर्ज पर पूरी पारदर्शिता बरतेगा| जिसमें चीन के स्वामित्व वाले 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के तहत सीपीईसी शामिल हैं| हालांकि, उमर ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उस बयान को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सीपीईसी परियोजनाओं पर पाकिस्तान द्वारा लिया गया कर्ज पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक हालत के लिए जिम्मेदार है| अमेरिका ने शुक्रवार को कहा था कि चीन से ज्यादा कर्ज लेने की वजह से पाकिस्तान में आर्थिक चुनौतियां बढ़ी हैं| अमेरिका ने कहा कि वो पाकिस्तान को दिए जाने वाले कर्ज की समीक्षा के साथ पाकिस्तान की आईएमएफ को दी गई बकाया याचिका पर भी समीक्षा करेगा| राज्य विभाग के प्रवक्ता हीदर नऊर्ट ने कहा कि पाकिस्तान ने आईएमएफ से सहायता के लिए कहा है| हम किसी भी तरह के कर्ज देने के पहले पाकिस्तान की कर्ज की स्थिति की बारीकी से जांच करेंगे| बता दें कि पिछले महीने अमेरिका के मंत्री माइक पोंपियो ने कहा था कि आज पाकिस्तान की जो हालत है, उसके लिए चीन से लिया गया कर्ज जिम्मेदार है| इस कर्ज को खर्च करने वाली सरकार ने सोचा था कि इसे चुकाना कठिन नहीं होगा, लेकिन ये काफी कठिन हो गया| उमर असद ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार किसी भी स्थिति में देश के हित के साथ समझौता नहीं करेगी और अगर आईएमएफ की कंडीशन ऐसी होंगी, जिनसे देश की सुरक्षा जुड़ी होगी, तो पाकिस्तान सरकार आईएमएफ से मिलने वाले फायदे को नकार देगी| लेकिन उमर न ये भी कहा कि सरकार को कड़े फैसले लेने होंगे| बेशक वो जनता के लिए दर्दनाक होगा, लेकिन देश की ऐसी बुरी आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए ये जरूरी है कि हम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता दिखाएं| उन्होंने कहा कि अगर कार्यक्रम पर बातचीत के दौरान आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच बात नहीं बनती है, तो हम फिर से मित्र देशों से बात करेंगे| बता दें कि पाकिस्तान पिछले हफ्तों में चीन और सऊदी अरब के संपर्क में था| उन्होंने यह भी कहा कि सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने पाकिस्तान को इन बुरे हालातों से बाहर निकालने के लिए कोई कड़ी कंडीशन नहीं रखी है| लेकिन उन्होंने ये बताने से मना कर दिया कि आखिर इन देशों ने उनकी मदद क्यों नहीं की है| उमर ने कहा कि हम अमेरिका द्वारा दिए गए बयान से पूरी तरह असहमत हैं| उमर ने कहा कि पाकिस्तान का शुद्ध विदेशी मुद्रा भंडार 8.3 अरब अमेरिकी डॉलर के मौजूदा सकल स्तर से काफी नीचे था| मंत्री ने कहा कि चालू खाता घाटे कारणों में से एक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी थी| उन्होंने स्वीकार किया कि आईएमएफ कार्यक्रम पाकिस्तान में निम्न और मध्यम आय वाले समूहों को प्रभावित करेगा| उमर ने कहा, हम शायद आईएमएफ के बिना जी सकते हैं लेकिन यह और अधिक दर्दनाक हो सकता है|

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