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फडणवीस के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का आरोप, याचिका दायर

mhuy_1446335920दस्तक टाइम्स/एजेंसी-महाराष्ट्र: मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री ने कल्याण-डोबीवली चुनाव के दौरान आयोजित प्रचार सभा में अपने अपने पद व अधिकारों का दुरुपयोग किया है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को प्रलोभन दिया है।
ठाणे निवासी किरण पाटील की ओर से दायर याचिका के अनुसार-20 अक्टूबर को आयोजित रैली में मुख्यमंत्री ने कहा कि था कि मौजूदा महानगरपालिका में शामिल नहीं किए गए 27 गावों को मिलाकर एक स्वतंत्र शहर बनाया जाएगा जिसकी एक अलग नगरपालिका होगी। इसके लिए एक हजार करोड़ रुपए की राशि दी जाएगी। यह घोषाणा उन्होंने संर्घष समिति की ओर से आयोजित राजनीतिक रैली में की थी। इसके साथ ही कहा था कि यदि चुनाव के दौरान उनकी पार्टी को मतदान नहीं किया गया तो इसका परिणाम उनके लिए अच्छा नहीं होगा। याचिका में कहा गया है कि इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में पहले से ही याचिका प्रलंबित है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री का बयान देने का कोई औचित्य नहीं है। याचिका में कहा गया है कि इसकी शिकायत राज्य चुनाव आयोग से की गई है पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लिहाजा यह याचिका दायर की गई है। याचिका में अपने निजी हित के लिए खुद के पद व अधिकार का दुरुपयोग करने के लिए कार्रवाई की मांग की गई है। 
इधर सीएम पर भड़के पवार
अरहर दाल की बढ़ती कीमतों को लेकर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को केंद्र सहित राज्य सरकार पर निशान साधा। फडणवीस सरकार की पहली वर्षगांठ पर वर्ली में आयोजित राकांपा की हल्लाबोल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों का महंगाई से जीना मुश्किल हो गया है। यदि स्थिति नहीं सुधरी तो लोग मोदी सरकार को घर का रास्ता दिखाने में समय नहीं लगाएंगे। पवार ने कहा, जिन व्यापारियों ने सरकार को समर्थन दिया था, उन्हीं ने दाल की कालाबाजारी की है। उनकी कमाई कराए बिना दाल लाई न जाए, यह भाजपा सरकार कि नीति है। केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पवार ने कहा कि मोदी देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं। मोदी आरएसएस में थे। सरदार पटेल ही ने आरएसएस पर पाबंदी लगाई थी। आज मोदी उन्हीं के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं। राज्यकर्ता हो, उसी तरह बर्ताव करो। स्वाधीनता सेनानी का सम्मान उसकी जाति नहीं, उसका त्याग देखकर किया जाता है।

 

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