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फोर्टिस हॉपिटल के डॉक्टरों ने कैंसर पीड़ित अरुण का इलाज कर बचा ली उनकी जान

लखनऊ। फोर्टिस हाॅस्पिटल के डाॅक्टरों ने बिहार के बोधगया निवासी अरुण कुमार 60 का सफलतापूर्वक उपचार कर बचाई जान । डॉक्टरों के मुताबिक पहले से ही अरुण डायबिटीज से भी पीड़ित थे। हालाकिं अस्पताल में भर्ती करते समय अरुण को रेक्टम में रक्तस्राव की शिकायत थी,हालांकि फोर्टिस हाॅस्पिटल,निदेशक ने बताया कि यह मामला अत्यधिक चुनौतीपूर्ण था क्योंकि अरुण कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें अत्यंत गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था और 40 दिन से अधिक समय तक उन्हें आईसीयू में रखा गया। उनकी हालत स्थिर होनी जरूरी थी ताकि हम कोलोन कैंसर के उपचार के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी कर सकें। यदि रोग का पता शुरूआती चरणों में लगता है तो सर्जरी में इन जटिलताओं से बचा जा सकता था। इसलिए सभी के लिए समय-समय पर नियमित रूप से जांच कराना आवश्यक है।

15 दिन के भीतर उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती

चिकित्सकीय जांच के बाद पाया गया कि मरीज़ एडवांस स्टेज का कोलोन कैंसर है।जिसके कारण कई अन्य जटिलताओं के चलते मरीज़ को उपचार शुरू करने से पहले करीब 40 दिनों तक गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में हालत स्थिर होने तक रखा गया। उन्हें कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी देने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। लेकिन बुखार, ठंड और सांस लेने में परेशानी की वजह से 15 दिन के भीतर उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। कार्डियो जांच से पता चला कि उनके हृदय की पंपिंग की शक्ति काफी कम है – यह 60 फीसदी के औसत के मुकाबले महज 30 फीसदी ही थी। उनकी आक्सीजन आपूर्ति भी काफी कम थी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत थी। अरुण के किडनी फंक्षन टेस्ट से अनियमितताओं का पता चला और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट ने फेफड़ों में सूजन, फ्लूड और लिवर का आकार बढ़ने के बारे में खुलासा किया।

हृदय के अत्यधिक कमज़ोर होने से सर्जरी चुनौतीपूर्ण

इसके अलावा अरुण को संक्रमण और गाॅल ब्लैडर व बाइल डक्ट में स्टोन (पथरी) की शिकायत भी थी। एंडोस्कोपिक प्रक्रिया के माध्यम से पथरी निकालने के बाद स्टेंटिंग की गई। संक्रमण नियंत्रित होने और मरीज़ की हालत स्थिर होने के बाद उनकी लैप्रोस्कोपिक कैंसर सर्जरी की गई। हालांकि हृदय के अत्यधिक कमज़ोर होने के कारण यह सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण साबित हुई। सर्जरी के दौरान उनके रक्तचाप, पल्सरेट, आॅक्सीजन संतृत्पतता और सीओ स्तर पर लगातार नज़र रखी गई, और इन्हें स्थिर तथा नियंत्रित किया गया।

अरुण की हालत में काफी तेज़ी से सुधार

डाॅ. प्रदीप जैन और डाॅ. उमेष देषमुख, विभाग प्रमुख, एनेस्थीसिया, फोर्टिस हाॅस्पिटल,
शालीमार बाग ने मरीज़ की सफलतापूर्वक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की। आपरेशन के बाद की अवधि में कोई जटिलता पैदा नहीं हुई और उन्हें एक सप्ताह के भीतर डिस्चार्ज कर दिया गया। सर्जरी से पहले की जटिलताओं को देखते हुए अरुण की हालत में काफी तेज़ी से सुधार हुआ।

इन्हें नज़रंदाज न करें

डाॅ. प्रदीप जैन, ने कहा मुतबिक अगर बाउल हैबिट में बदलाव (डायरिया, कब्ज़ या स्टूल कंस्टिटेंसी), रेक्टल रक्तस्राव, मल में खून आने, पेट में दर्द, क्रैंप, ब्लाॅटिंग, आराम न मिलना, अचानक वजन कम होना, अचानक एनिमिया होने जैसे लक्षण दिखाई दें तो इन्हें नज़रंदाज नहीं करें। ऐसे लक्षणों के दिखायी देते ही जल्द से जल्द चिकित्सकीय जांच करवाये ।

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