कोरोना पर अगर ये झूठ न बोलता चीन, तो दुनिया में न मचती ऐसी तबाही!
कोरोना वायरस कब आया? कहां से आया? कैसे आया? इन सवालों का जिक्र जब भी होता है तो चीन पर कई सवाल उठने शुरू हो जाते हैं। अब एक नए रिसर्च ने चीन के दावों पर सवाल खड़े किए हैं। इस रिसर्च में कहा गया है कि चीन ने जब दुनिया को कोरोना के बारे में बताया, उससे एक से दो महीने पहले ही वहां कोरोना के केस आने लगे थे। इससे पहले अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में भी कहा गया था कि चीन में कोरोना के केस नवंबर 2019 में ही आने लगे थे।
इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है? किस आधार पर ये दावा किया गया है? वॉल स्ट्रीट जर्नल ने किस आधार पर केस नवंबर में आने का दावा किया था? अब तक की रिपोर्ट्स में कोरोना की शुरुआत को लेकर क्या कहा गया है? आइए समझते हैं….
नई रिपोर्ट में क्या है?
रिसर्च जर्नल PLOS में छपी रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में कोरोना का पहला केस नवंबर 2019 में आया। अगर तारीख की बात करें तो 17 नवंबर को इसके आने के सबसे ज्यादा आसार हैं। चीन से इसकी शुरुआत हुई। जबकि चीन का दावा है कि उसके देश में सबसे पहला केस दिसंबर 2019 की शुरुआत में आया था।
ये रिसर्च किसने की है?
UK की केंट यूनिवर्सिटी के डेविड रॉबर्ट और उनके साथियों ने एक मैथमेटिकल मॉडल डेवलप किया है। इनका मूल मॉडल पशु-पक्षियों की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए डेवलप किया गया था। मूल मॉडल को रिवाइज करके केंट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना की शुरुआत की तारीख का अनुमान लगाया है।
मॉडल डेवलप करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे भविष्य में भी बीमारियों की शुरुआत और उनके फैलने के आसार का पता लगाने में मदद मिलेगी। इसके लिए बहुत ज्यादा डेटा की भी जरूरत नहीं होगी। कोरोना पर की गई ये रिसर्च कहती है कि इस बात की सबसे ज्यादा आशंका है कि चीन में कोरोना का पहला केस 17 नवंबर 2019 को आया। इसके बाद ये बीमारी जनवरी 2020 में पूरी दुनिया में फैल गई।
क्या इस रिसर्च में दूसरे देशों में कोरोना फैलने के बारे में भी कुछ है?
चीन के अलावा किन पांच देशों में कोरोना सबसे पहले पहुंचा, इसका अनुमान भी इस रिसर्च में लगाया गया है। रिसर्च ये भी बताती है कि इन देशों में किस तारीख को कोरोना का पहला केस आया होगा।
रिसर्च कहती है कि 3 जनवरी 2020 को चीन के बाहर पहला केस जापान में आया। इसके बाद 7 जनवरी को थाइलैंड, 12 जनवरी को स्पेन और 14 जनवरी को कोरिया में पहला केस आया। यूरोप में पहुंचने के बाद कोरोना 16 जनवरी को अमेरिका पहुंचा।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में क्या है?
पिछले महीने अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के हवाले से ये दावा किया था कि वुहान की लैब के कई रिसर्चर नवंबर 2019 या उससे पहले बीमार पड़े थे। इन लोगों में कोरोना या सामान्य सर्दी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण थे। जबकि चीन में दुनिया का पहला घोषित कोरोना केस दिसंबर 2019 में आया था।
इससे पहले अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री जेवियर बेसेरा ने वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में WHO से कहा था कि कोरोना कहां से फैला, इसकी जांच का अगला चरण ‘पारदर्शी’ होना चाहिए। बेसेरा चीन का नाम लिए बिना जनवरी में की गई WHO की जांच पर सवाल उठा रहे थे। हालांकि, चीन ने इन सभी खबरों को झूठा बताया था। इसके साथ ही उसने एक नया आरोप लगाते हुए कहा कि हो सकता है कि ये वायरस अमेरिका की किसी लैब से निकला हो। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान का दावा किया था कि वुहान की लैब में 30 दिसंबर 2019 से पहले कोरोना का कोई मामला सामने नहीं आया था।
WHO की जो टीम चीन गई थी, उसे क्या मिला था?
इसी साल जनवरी में WHO की टीम चीन के वुहान शहर गई थी। अप्रैल में इस टीम ने अपनी रिपोर्ट दी, लेकिन इस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं था। न ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर कोई निश्चित निष्कर्ष था। जो बातें पिछले दो साल से होती रही हैं, उन्हीं बातों को रिपोर्ट में कहा गया। रिपोर्ट में कहा गया कि ये पता नहीं कि चीन में लोग इस वायरस से कैसे संक्रमित हुए। ऐसा लगता है कि ये वायरस जानवरों से इंसानों में आया। इसके साथ ही इस बात की संभावना न के बराबर है कि इसे लैब में बनाया गया। WHO पर चीन के दबाव में रिपोर्ट बनाने के आरोप लगे थे।
जानवर से इंसानों में कोरोना फैलने वाली थ्योरी का सपोर्ट करने वालों का क्या कहना है?
कई वैज्ञानिक मानते हैं कि किसी लैब की जगह वायरस के नेचुरल उत्पत्ति की आशंका ज्यादा है। कोरोना वायरस पर काम कर रहे स्क्रिप्स रिसर्च के वैज्ञानिक क्रिस्टन जी एंडरसेन कहते हैं कि इबोला और दूसरे रोगजनक वायरस जानवरों से ही इंसानों में फैले, इन्हीं वायरस के जिनोम सीक्वेंस से ही कोरोना के फैलने के आसार सबसे ज्यादा हैं।