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बरसात का आगमन यानि बिमारियों की दस्तक, बचने के उपाय

05_07_2016-monsoon_copy_577d63d44c688एजेंसी/ जी हाँ गर्मियों का जाना और बरसात का आना यानि बरसात की दस्तक मतलब बिमारियों का आगाज, सभी मानते है की यह मौसम हमारे लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है क्योकि यही मौसम सबसे ज्यादा बीमारियां लाता है।  जैसे ही मौसम करवट बदलता है वैसे ही हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता भी बदलती ऐसे बदलते मौसम में हमें कई सावधानियाँ बरतने की ज़रूरत होती है। मौसम में बदलाव से हमारी इम्युनिटी(रोग प्रतिरोधक क्षमता) का भी बदलाव होता है जिसकी वजह से एलर्जिक और वायरल संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान हमें अपनी दिनचर्या में भी बदलाव कर लेना चाहिए ताकि सेहत दुरुस्त रहे।

बरते ये सावधानियां : सुबह व शाम की ठंड और दिनभर गर्मी के इस मौसमी बदलाव में सामान्य बुुखार, जुकाम, खांसी और किसी भी प्रकार के फ्लू का खतरा ज्यादा रहता है।

बचने के उपाय : लिक्विड डाइट जैसे छाछ, नींबू पानी, फलों या सब्जियों का रस और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। पौष्टिक आहार लें और बाहर के खाने से परहेज करें। ज्यादा देर तक खाली पेट न रहें इससे आपकी इम्युनिटी प्रभावित होती है और रोगों के हमला करने की आशंका बढ़ जाती है। जो लोग पहले से किसी बीमारी की दवाएं ले रहे हैं, अपना ध्यान रखें। डायबिटीज के मरीज, छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं का बदलते मौसम में खास खयाल रखें। बहुत ठंडा पानी या अन्य पेय पदार्थ न पिएं इससे गले की समस्या हो सकती है। पंखा और एसी का सावधानी से प्रयोग करें। फिलहाल सुबह व शाम की सर्दी है इसलिए गर्म कपड़े साथ रखें व जरूरत के हिसाब से इन्हें पहन लें ताकि ठंडी हवाओं से बचा जा सके।

पुराने मरीज ध्यान रखें : मौसम बदलने पर डायबिटीज व सांस के रोगियों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है। इस दौरान डायबिटीज के रोगियों को कमजोरी, खांसी, गले में दर्द और घुटन जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। सांस के मरीजों को सांस फूलने, छींक और सांस लेने में तकलीफ की समस्या होने लगती है। इसलिए ये लोग मौसमी फल खाएं और संतुलित आहार लें। घर से बाहर जाने पर रोगी अपनी दवाएं साथ लेकर जाएं।

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