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बड़ीखबर: आतंकवाद से निपटने के लिए कतर के साथ खड़ा हुआ अमेरिका, किए समझौते पर हस्ताक्षर

अमेरिका और कतर ने आतंकवाद को फैलने से रोकने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता अमेरीकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के दोहा दौरे के दौरान किया गया। टिलरसन ने कहा कि यह समझौता आतंकवादी संगठनों को मिल रहे फंड को रोकने और विश्व स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के काम आएगा। कतर संकट के कारण खाड़ी के देशों में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। मिस्र, सऊदी अरब, यूएई और बहरीन ने कतर के साथ पिछले एक महीने से कूटनीतिक संबंध खत्म कर रखे हैं।

आरोप है कि कतर आतंकवाद को धन मुहैया करा कर खाड़ी क्षेत्र में अशांति फैलाने का काम कर रहा है, लेकिन कतर इन आरोपों को सिरे से खारिज करता रहा है। टिलरसन और कतर के उनके समकक्षशेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल-थानी के बीच इस समझौते से पहले लगभग एक हफ्ते तक बातचीत चली। टिलरसन ने अल-थानी के साथ एक संयुक्त बयान में कहा, “हमारी सरकारों के बीच यह समझौता विशेषज्ञों की एक हफ्ते लंबी चली बातचीत किया गया और यह रियाद समिट की भावना को पुनर्जीवित करता है।”

इसी साल मई के महीने में अमेरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अपनी सऊदी अरब की यात्रा के दौरान अरब मुल्कों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। अपने इसी दौरे के दौरान ट्रंप ने ईरान पर आतंकवाद को बढ़ावा दने के आरोप भी लगाए थे। टिलरसन ने कहा, ” हर अरब मुल्क आने वाले वर्षों में आतंकवाद को मिल रही आर्थिक मदद को न केवल बाधित करेंगे बल्कि दुनिया भर में आतंकवाद की कमर तोड़ने की गतिविधियों को भी तेज़ करेंगे।”

हालांकि इस समझौते के बावजूद मिस्र, सऊदी अरब, यूएई और बहरीन ने कतर पर प्रतिबंध को जारी रखा है। उन्होंने संयुक्त बयान जारी कर अमेरीकी प्रयास की सराहना की है लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वो कतर की आगामी गतिविधियों पर अपनी नजर बनाए रखेंगे। कतर पर मिस्र, सऊदी अरब, यूएई और बहरीन ने आरोप लगाया है कि वो इस क्षेत्र में आईएस और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।

इन चारों देशों ने कतर के लिए अपने हवाई, जमीनी और समुद्री रास्ते बंद कर उसे कूटनीतिक दृष्टि से बिल्कुल अलग थलग कर दिया। हालांकि सऊदी अरब और अन्य देशों ने जिस तरह से कतर से राजनयिक संबंध तोड़े हैं उसकी वजह पर भी कुछ सवाल उठे हैं। सवाल यह है कि क्या मुद्दा आतंकवाद का है या फिर कुछ और।

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