अद्धयात्म

भगवान दत्तात्रेय के दर्शन करने से दूर हो जाती है लाइलाज बीमारियां

भगवान शिव की नगरी काशी अद्भुत रहस्यों से भरी पड़ी है। काशी के इन्‍हीं रहस्‍यों में से एक है ब्रह्माघाट पर बना भगवान दत्तात्रेय का प्राचीन मंदिर (Lord Dattatreya Temple) । यहां भगवान के दर्शन से मिलता है लाइलाज बीमारी का परमानेंट इलाज।

भगवान दत्तात्रेय के दर्शन करने से दूर हो जाती है लाइलाज बीमारियांकाशी का प्राचीन मोहल्ला है ब्रह्माघाट। यहीं पर गुरू दत्तात्रेय भगवान का मंदिर (Lord Dattatreya Temple) । मंदिर के बाहर लगा शिलापट्ट इमारत के तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना होने की गवाही देता है लेकिन बनारस के पुरनियों का कहना है कि भगवान दत्तात्रेय के इस मंदिर का इतिहास दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। वेद, पुराण, उपनिषद और शास्त्र बताते हैं कि फकीरों के देवता भगवान दत्तात्रेय का प्रादुर्भाव सतयुग में हुआ था।

यहां मिलती है सफेद दाग से निजात

वैसे तो दक्षिण और पश्चिम भारत में भगवान दत्तात्रेय के ढेर सारे मंदिर हैं लेकिन इन मंदिरों में विग्रह कम उनकी पादुका ही ज्यादा है। काशी स्थित यह देवस्थान उत्तर भारत का अकेला है। भगवान दत्तात्रेय के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अब तक देह त्याग नहीं किया है। वो पूरे दिन भारत के अलग अलग क्षेत्रों में विचरते रहते हैं। इसी क्रम में वो हर रोज गंगा स्नान के लिए प्रात:काल काशी में मणिकर्णिका तट पर आते हैं। मणिकर्णिका घाट स्थित भगवान दत्तात्रेय की चरण पादुका इस बात का प्रमाण है। कहते हैं कि ब्रह्माघाट स्थित मंदिर में भगवान दत्तात्रेय के दर्शन मात्र से मनुष्य को सफेद दाग जैसे असाध्य रोग से मुक्ति मिलती है।

भगवान का एकमुख स्‍वरूप

दत्तात्रेय का विग्रह हर जगह तीन मुखों वाला मिलता है लेकिन काशी अकेला ऐसा स्थान है जहां एक मुख वाला विग्रह विराजमान है। दत्तात्रेय भगवान ने ही बाबा कीनाराम को अघोर मंत्र की दीक्षा दी थी। आप गुरु गोरक्षनाथ के भी गुरु थे। साईं बाबा को इन्ही का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि सच्चे मन से स्मरण किया जाए तो दत्तात्रेय भगवान भक्त के सामने आज भी हाजिर हो जाते हैं।

महर्षि परशुराम ने मां त्रिपुर सुंदरी की साधना इन्हीं से हासिल की। अवधूत दर्शन और अद्वैत दर्शन के जरिये भगवान दत्तात्रेय ने मनुष्य को खुद की तलाश का रास्ता दिखाया। आपका वास होने के कारण गूलर के वृक्ष की पूजा की जाती है। बनारस के पुरनिये ब्रह्माघाट के मंदिर में दर्शन मात्र से हुए चमत्कारों की कथा सुनाते अघाते नहीं हैं। उनका कहना है कि ये वो जगह है जहां मन मांगी मुराद मिलती है।

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