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महिला सांसदों से ‘धक्कामुक्की’ का जवाब देने सरकार ने उतारे 8 मंत्री, विपक्ष पर बोला हमला

नई दिल्ली: राज्यसभा में बुधवार को महिला सांसदों के साथ कथित धक्कामुक्की का मामला गरमाता जा रहा है। गुरुवार को आरोपों पर सरकार ने आरोपों का जवाब देने के लिए 8 केंद्रीय मंत्रियों की टीम को उतारा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मेघवाल,धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव , वी मुरलीधरन, अनुराग ठाकुर और प्रह्लाद जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष के आरोपों का खारिज किया।

अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में आरोपों को गलत बताते हुए विपक्ष के रवैये को शर्मनाक बताया। ठाकुर ने कहा लोग इस बात का इंतजार कर रहे थे कि सदन में उनके मुद्दे उठाए जाएं जबकि विपक्ष के एजेंडे में अराजकता फैलाना था। विपक्ष ने न तो करदाताओं के पैसे की चिंता की और न ही लोगों की। संसद में जो हुआ वह शर्मनाक था। विपक्ष घड़ियाली आंसू बहाने की जगह देश से माफी मांगे।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि परसों कुछ सांसद मेज के ऊपर खड़े हो गए थे। वे अपने ऊपर बहुत गर्व महसूस कर रहे थे। वे सोच रहे थे कि उन्होंने कुछ महान कर दिया है। उन्होंने इसका वीडियो बनाने के बाद इसे ट्वीट किया जबकि वीडियो शूट करने की अनुमति (सदन में) नहीं है। जोशी ने आगे कहा कि “राहुल गांधी ने इस लोकतंत्र की हत्या कहा है। देश देख सकता है कि उन्होंने संसद में क्या किया है। अगर उनमें जिम्मेदारी की जरा भी समझ है तो उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। साथ ही हम चेयरमैन से मांग करते हैं कि इस पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए और यह दोबारा नहीं होना चाहिए।

क्या है मामला?
बता दें बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष की कुछ महिला सांसदों ने धक्कामुक्की का आरोप लगाया था। महिला सांसदों के मुताबिक पुरुष मार्शलों ने उनके साथ धक्कामुक्की की। कल ही घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा था कि उन्होंने अपने 55 साल के संसदीय करियर में ऐसा नहीं देखा। पवार ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया था। गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में कुछ महिला सांसदों के साथ कथित धक्कामुक्की की घटना को लेकर इसे विरोध जताया और लोकतंत्र की हत्या कहा। विपक्षी सांसदों ने इसे लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है। इसी सिलसिले में विपक्ष के नेता गुरुवार को उपराष्ट्रपति से मिले और उन्हें पत्र सौंपकर उच्च सदन में हुई घटना को लेकर जानकारी दी।

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