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यूपी में गठबंधन के बिना सर्वाधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी बसपा!

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा के चुनावों में सपा-बसपा की कांग्रेस से तल्खी का असर यूपी में विपक्षी दलों के प्रस्तावित गठबंधन पर पड़ सकता है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव के तेवर बता रहे हैं कि यूपी में भाजपा विरोधी गठबंधन में कांग्रेस को शायद ही जगह मिले। सपा-बसपा इस गठबंधन की धुरी रहेंगे और रालोद व अन्य छोटे दल इसका हिस्सा हो सकते हैं।

यूपी में गठबंधन के बिना सर्वाधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी बसपा!

भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के गठबंधन का प्रयोग प्रदेश में गोरखपुर, फूलपुर, कैराना लोकसभा व नूरपुर विधानसभा के चुनावों से हो चुका है। इनमें सपा-बसपा पहली बार एक साथ आए थे। अब इसे अमली जामा पहनाया जाना है। कांग्रेस ने गोरखपुर व फूलपुर में प्रत्याशी उतारे थे लेकिन कैराना में रालोद व नूरपुर में सपा उम्मीदवार का समर्थन किया था।

गोरखपुर व फूलपुर उपचुनाव के बाद ही अखिलेश यादव ने मायावती के आवास पर जाकर समर्थन के लिए उनका आभार जताया था। इस मुलाकात ने गठबंधन की नींव रख दी थी। मायावती कहती रही हैं कि सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही वह गठबंधन करेंगी। अखिलेश यादव उन्हें सम्मान देने की बात कह चुके हैं। यहां तक कहा है कि गठबंधन के लिए वह कोई भी त्याग करने को तैयार हैं।

इस तरह कांग्रेस, सपा व बसपा के गठबंधन की संभावनाएं हुई धूमिल

कांग्रेस यूपी में भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा रहेगी या नहीं, इसे लेकर पहले भी स्थिति साफ नहीं थी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा के चुनावों ने कांग्रेस और सपा-बसपा के नजदीक आने की संभावनाओं को धूमिल किया है। तीनों राज्यों में कांग्रेस ने सपा या बसपा से गठबंधन नहीं किया है।

इसके जवाब में यूपी में सपा-बसपा उसे गठबंधन से अलग रख सकते हैं। तीनों राज्यों में मायावती व अखिलेश यादव के तल्ख तेवरों से इसके संकेत भी मिल रहे हैं। मायावती कह चुकी हैं कि कांग्रेस उन्हें कमजोर करना चाहती थी, जबकि अखिलेश कांग्रेस पर घमंडी होने के आरोप लगा चुके हैं।

आधी सीटों पर रहेगा बसपा का दावा

सपा-बसपा व रालोद के संभावित गठबंधन को लेकर तीनों ही दलों के नेता अधिकृत तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन उनका मानना है कि गठबंधन होना लगभग तय है। सूत्रों का कहना है कि अमेठी व रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी जाएगी। बाकी 78 सीटों पर गठबंधन चुनाव लड़ेगा। सबसे बड़ी हिस्सेदारी बसपा की रहेगी। उसका दावा आधी सीटों पर है।

इसके बाद सपा का नंबर रहेगा। रालोद को तीन सीटें दिए जाने की चर्चा है। आम तौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम को आधार बनाकर सीटों का बंटवारा होगा, लेकिन इसे नजीर नहीं बनाया जाएगा। कई जगह राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार सीटों की अदला-बदली की जाएगी।

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