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शंकराचार्य का बड़ा बयांन शनि भगवान की पूजा करने से बढ़ जाएंगे महिलाओं से बलात्कार

shankaracharya-swaroopanand-saraswati1एजेन्सी/ अपने विवादित बयानों से अक्सर मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाले शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार शंकराचार्य ने साईं के साथ दुनियाभर में पूजे जाने वाले शनि भगवान पर भी टिप्पणी कर दी है. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि शनि और साईं दोनों भगवान नहीं हैं. महाराष्ट्र में शनि और साईं की पूजा होने के कारण ही अकाल की स्तिथि पैदा हो गई है. ऐसे में यदि महिलाएं शनि की पूजा करती हैं तो उनके साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ जाएंगी.

उत्तराखंड के हरिद्वार में शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि महाराष्ट्र में साईं की पूजा बंद कर केवल भगवान गणेश की पूजा होनी चाहिए. वहां पर लोग अपने इष्ट देवताओं को भूल उन्हें साईं के चरणों में स्थान दे रहे है. इस वजह से वहां अनिष्ट हो रहा है.

शनि पर निशाना साधते हुए कहा शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती कि शनि की पूजा नहीं, शांति होती है. उसके लिए ढकोत को तेल देने के बजाय जगह-जगह उसके मंदिर बनाये जा रहे है और वहां पैसा चढ़ाया जा रहा है. ऐसे में यदि महिलाएं शनि की पूजा करेंगी तो बलात्कार की घटनाएं बढ़ेंगी.

शंकराचार्य ने सूखे के लिए साईं बाबा को जिम्मेदार ठहराया है. उन्‍होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के लोग साईं बाबा की पूजा करते हैं, इसलिए उन्हें प्रकृति सूखे के रूप में सजा दे रही है. महाराष्ट्र में लोग सूखे की मार झेल रहे हैं, उन्हें यह दिन साईं बाबा की पूजा करने के चलते देखना पड़ रहा है. साईं एक फकीर थे और एक भगवान के तौर पर उनकी पूजा करना पूरी तरह से अशुभ है.’

शंकराचार्य ने कहा कि जिन जगहों पर अयोग्यों की पूजा होगी, वहां लोगों को सूखे जैसी पाकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा. वर्तमान में इसका उदाहरण महाराष्ट्र है, जहां साईं की पूजा करने से सूखे के हालात बन गई है. पिछले 4-5 वर्षों से लगातार रबी-खरीफ सीजन में प्राकृतिक आपदाएं और ओलावृष्टि से हो रहे नुकसान की वजह साईं पूजा है. साईं पूजा बंद होनी चाहिए. अगर साईं पूजा नहीं होगी तो प्राकृतिक आपदाएं नहीं होंगी.’

इससे पहले 2014 में स्वामी स्वरूपानंद ने कहा था, साईं बाबा भगवान नहीं थे. उनकी पूजा नहीं होना चाहिए. यहां तक कि उन्होंने अपने भक्तों से कहा था कि मंदिरों से साईं की मूर्तियों और तस्वीरें भी हटा ली जाएं. उन्होंने शनि शिंगणापुर में महिलाओं के प्रवेश को भी राजनीति बताया था. शंकराचार्य ने कहा था कि धार्मिक महिलाएं कभी भी नहीं चाहेंगी कि वह गर्भगृह में जाकर पूजन करें. जिन्हें राजनीति करना है वे ही इस तरह का कार्य कर रही हैं. वहां गर्भगृह में सिर्फ पुजारियों को ही प्रवेश मिले, ताकि वह पूजन कर सकें.

 

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