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सबसे अधिक विकेट लेने वाली गोस्वामी के सम्मान में जारी हुआ डाक टिकट

भारत में क्रिकेट का खासा महत्व है लेकिन महिला क्रिकेट का शायद नहीं. अब समय बदल रहा है. पिछले कुछ समय से, भारत में महिला क्रिकेट की अहमियत बढ़ रही है. खासतौर पर पिछले साल हुए महिला क्रिकेट वर्ल्डकप में जब से भारत की महिला क्रिकेट टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है, भारत में महिला क्रिकेट की कद्र तेजी से बढ़ी है. हालांकि इस वर्ल्ड कप में भारत फाइनल में इंग्लैंड से हार गया था, लेकिन महिला टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया था. सबसे अधिक विकेट लेने वाली गोस्वामी के सम्मान में जारी हुआ डाक टिकट

भारतीय महिला क्रिकेटर्स की बढ़ती अहमियत का संकेत तब मिला जब वनडे क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाली भारतीय महिला तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया. आईसीसी क्रिकेट की वेबसाइट के अनुसार, कोलकाता स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक सम्मान समारोह में झूलन के नाम का डाक टिकट जारी किया गया.

झूलन के नाम के इस डाक टिकट के जारी होने के अवसर पर झूलन और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली भी मौजूद थे. पांच रुपये के मूल्य वाले इस डाक टिकट पर झूलन के साथ विक्टोरिया मेमोरियल की तस्वीर भी है. यह डाक टिकट झूलन की उपलब्धियों के सम्मान में जारी किया गया है. 

झूलन गोस्वामी 2007 में आईसीसी क्रिकेटर ‘ऑफ द ईयर’ चुनी गई थीं. 2007 में आईसीसी वुमंस क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने जाने के बाद उन्हें टीम का कप्तान बना दिया गया. 2010 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री से नवाजा गया.

15 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया
झूलन पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुईं. वह एक फुटबॉल फैन के रूप में बड़ी होने लगीं. लेकिन संयोग से 1997 का महिला वर्ल्ड कप फाइनल झूलन के होम ग्राउंड ईडन गार्डन, कोलकाता में खेला जाना था. यह मैच ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच था. यहां झूलन ने बॉल गर्ल के रूप में काम किया. इस मैच में बेलिंडा क्लार्क, डेबी हॉकी और कैथरीन फिट्जपैट्रिक जैसी बड़ी खिलाड़ियों को देखकर उन्होंने तय किया कि वह क्रिकेट में ही अपना करियर बनाएंगी.

15 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया
झूलन ने 15 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया. वह सुबह 4.30 पर उठतीं और लोकल ट्रेन से प्रेक्टिस सेशन में पहुंचतीं. वह कोलकाता से 80 किलोमीटर दूर रहती थीं. कई बार ट्रेन मिस हो जाने के कारण वह प्रेक्टिस सेशन में नहीं पहुंच पाती थीं. लेकिन क्रिकेटर बनने का सपना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा. कभी निराश नहीं हुईं. झूलन के माता-पिता चाहते थे कि वह क्रिकेट से ज्यादा पढ़ाई पर अपना ध्यान लगाएं.

झूलन को प्यार से कोजी के नाम से जाना जाता है. झूलन के सपना था कि 2017 का महिला वर्ल्ड कप जीतें, लेकिन उनकी टीम फाइनल में इंग्लैंड से हार गई. झूलन के बारे में एक बार उनके एक संबंधी ने कहा था कि झूलन तुम एक अच्छी किक्रेटर हो लेकिन उससे भी अच्छी आप एक इंसान हो. यह उन्हें मिला अब तक का सबसे अच्छा कॉम्प्लीमेंट था.

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