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सीबीआई के सामने बड़ा सवाल, छोटा राजन को आखिर कैसे मिला तत्काल पासपोर्ट

दस्तक टाइम्स/एजेंसी:  chhota-rajan_650x400_61446523372नई दिल्ली: लंबे समय तक भारत से फरार रहे माफिया डॉन छोटा राजन से पूछताछ कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष टीम अगले कुछ दिनों में कर्नाटक के स्थानीय पासपोर्ट कार्यालय जाएगी। गौरतलब है कि इसी पासपोर्ट कार्यालय से 2003 में छोटा राजन को फर्जी नाम और पते पर पासपोर्ट जारी किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि छोटा राजन को यह पासपोर्ट तत्काल सेवा के तहत प्रदान किया गया था, जिसकी अंतिम समयसीमा 2008 तक थी, लेकिन छोटा राजन ने किसी तरह अपने इस पासपोर्ट को 8 जुलाई, 2008 से 7 जुलाई 2018 तक के लिए नवीनीकृत करा लिया था।

जांच एजेंसी ने छोटा राजन के खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम-1967 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम-1988 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, भेष बदलकर धोखा देने, दस्तावेजों के साथ जालसाजी के आरोप में छोटा राजन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है। हालांकि पासपोर्ट फर्जीवाड़ा एकमात्र ऐसा मामला है, जिसकी जांच के लिए सीबीआई को छोटा राजन की 10 दिन की हिरासत मिली है।

महाराष्ट्र पुलिस को भी अभी छोटा राजन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले सीबीआई को सौंपने हैं। छोटा राजन करीब 85 मामलों में वांछित था, जिनमें प्रताड़ना से लेकर हत्या, तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मामले शामिल हैं। महाराष्ट्र के अलावा छोटा राजन के खिलाफ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात और सीबीआई के यहां भी मामले दर्ज हैं।

छोटा राजन इसी पासपोर्ट पर 22 सितंबर, 2003 से 24 अक्टूबर, 2015 के बीच 12 वर्षों तक ऑस्ट्रेलिया में पड़ा रहा। सूत्रों ने बताया कि छोटा राजन ने मोहन कुमार के फर्जी नाम और 107/बी, पुराना एम. सी. रोड, आजाद नगर के फर्जी पते पर यह पासपोर्ट (नं. जी9273860) हासिल किया था।

सूत्रों ने बताया, यह पासपोर्ट जिम्बाब्वे में हरारे से 22 सितंबर, 2003 को बनवाया गया।” आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक के स्थानीय पासपोर्ट कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों पर जल्द ही मुसीबत आ सकती है, क्योंकि सीबीआई वहां जाकर आगे की जांच करने की योजना बना रही है।

सूत्रों ने बताया, “या तो कर्नाटक के स्थानीय पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारियों ने छोटा राजन को पासपोर्ट हासिल करने में मदद की या तो छोटा राजन ने पासपोर्ट के सत्यापन की कमियों का फायदा उठाया।” सूत्रों ने बताया कि छोटा राजन के इस पासपोर्ट पर दर्ज पता गलत नहीं है। पता तो सही है, लेकिन उस पते पर कौन रहता है या रहता था इसकी जांच होनी है। राजन से पूछताछ कर रहे अधिकारियों ने बताया कि छोटा राजन इसी पासपोर्ट पर और यात्री वीजा लेकर ऑस्ट्रेलिया पहुंचा।

भारत से 1988 में दुबई को भागे छोटा राजन ने एक अन्य भगोड़े माफिया और मुंबई में 1993 में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों का मुख्य साजिशकर्ता अपने साथी दाऊद इब्राहिम से जान का खतरा होने पर यह फर्जी पासपोर्ट बनवाया था। दाऊद 2000 में छोटा राजन पर एक होटल में हमला भी करवा चुका है, हालांकि राजन होटल के प्रथम तल से कूदकर नाटकीय अंदाज में हमले से बचकर भाग निकला था।

 

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