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सीबीआई : गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक

cbiनई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को असंवैधानिक करार देने के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने शनिवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत एजेंसी के गठन संबंधी गृह मंत्रालय के अप्रैल 1963 के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम और न्यायमूर्ति रंजन प्रकाश देसाई की शीर्ष अदालत की पीठ ने शनिवार की शाम प्रधान न्यायाधीश के आवास पर 19 मिनट की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। अपने आदेश में पीठ ने कहा ‘हम फैसले पर रोक लगाते हैं। आपने (शनिवार) के अखबार में पढ़ा है। सनसनीखेज मामलों में आरोपी दो लोगों ने अपनी सुनवाई रोकने की मांग की है। ऐसे में क्या होगा?’अदालत का यह आदेश तब आया जब नरेंद्र कुमार की ओर से पेश वकील एल.एस. चौधरी ने इस संबंध में सरकार की अर्जी खारिज करने की मांग की क्योंकि यह कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से दायर किया गया है। यह विभाग उच्च न्यायालय में चली प्रक्रिया के दौरान पक्षकार नहीं था। नरेंद्र कुमार की याचिका पर ही गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा ‘हम इसे खारिज नहीं कर सकते…सीबीआई ने भी उच्च न्यायाल के आदेश को चुनौती देते हुए अर्जी दायर की है। हम आपकी आपत्ति नहीं ठुकरा रहे हैं। आप अपनी आपत्ति दर्ज कराएं। आपकी आपत्ति पर उचित समय पर विचार किया जाएगा।’’अदालत ने चौधरी से सवाल किया ‘‘हम आपसे जानना चाहते हैं कि क्या आपने आज का अखबार पढ़ा है। एक दिन के भीतर सनसनीखेज मामले के दो आरोपियों ने सुनवाई रोकने की अपील की है।’’ सरकार की ओर से पेश महान्यायवादी जी. ई. वाहनवती ने उच्च न्यायालय के फैसले की चूक की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा कि ‘गलत जगह पर गलत सवाल पूछा गया और गलत उत्तर दिया गया।’ महान्यायवादी ने कहा कि ‘इस फैसले के दूरगामी असर होंगे। यह पूरी तरह से गलत जगह पर दिया गया फैसला है।’ ‘उन्होंने (उच्च न्यायालय) इस आधार पर फैसला लिया कि सीबीआई के गठन के लिए व्यवस्था में गुंजाइश नहीं थी। और यह काम सिर्फ एक कार्यकारी आदेश के जरिए किया गया।’महान्यायवादी ने पीठ को बताया ‘अदालत ने कहा है कि जहां तक सीबीआई का सवाल है तो यह किसी अधिनियम के जरिए नहीं  बल्कि कार्यकारी आदेश के जरिए गठित किया गया है। यह एक ऐसा मामला है जिस पर अदालत के विचार की जरूरत है।’ उन्होंने अदालत को बताया कि शीर्ष अदालत के पांच फैसले हैं जिसमें कहा गया है कि सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की उत्पत्ति है। शीर्ष अदालत ने महान्यायवादी से फैसले के आपत्तिजनक अंश का उल्लेख करने के लिए कहा तो वाहनवती ने कहा  ‘‘यह अत्यंत स्पष्ट है कि अधिनियम की धारा 2 के तहत सीबीआई गठित करने की शक्ति है।’’ उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले के पक्षकारों को नोटिस जारी किया। सीबीआई और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी नोटिस भेजा गया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर तय करते हुए अदालत ने प्रतिवादी नरेंद्र कुमार को अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और जवाब पर सरकार को जवाब देने के लिए अगले दो सप्ताह का वक्त दिया।

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