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सुब्रत राय की याचिका पर फैसला सुरक्षित

subratनई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिका में राय ने अदालत के चार मार्च के आदेश को चुनौती दी थी। चार मार्च के आदेश में समूह की दो कंपनियों द्वारा निवेशकों से जुटाई गई 24 ००० करोड़ रुपये की राशि निवेशकों को वापस करने के अदालत के 2०12 के आदेश को पालन नहीं करने पर राय को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने राय और दो अन्य निदेशकों के निवेशकों को वापस की जाने वाली राशि के एक हिस्से के तौर पर 1० हजार करोड़ रुपये जमा करने से संबंधित नए प्रस्ताव पर भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। राय का नया प्रस्ताव उनकी याचिका की सुनवाई के आखिरी दिन आया  जिसमें उन्हें और उनके समूह की दो कंपनियों एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल के दो निदेशकों अशोक राय चौधरी और रवि शंकर दूबे को न्यायिक हिरासत में भेजने के अदालत के चार मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी। राय ने नए प्रस्ताव में कहा कि न्यायिक हिरासत से रिहा किए जाने के तीन दिनों के भीतर वह 3 ००० करोड़ रुपये जमा कर देंगे और शेष 2 ००० करोड़ रुपये 3० मई से पहले जमा कर देंगे। राय के वकील राजीव धवन ने कहा कि शेष 5 ००० करोड़ रुपये की बैंक गारंटी 3० जून तक जमा कर दी जाएगी। इस प्रस्ताव को रखने के साथ ही राय ने समूह की कंपनी एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल तथा कुछ संपत्तियों से संबंधित कुछ खातों पर से रोक हटाने की भी मांग की। राय ने साथ ही 26 मार्च के आदेश में संशोधन करने की मांग भी की और कहा कि उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों की अपेक्षा सूचीबद्ध बैंकों की गारंटी जमा करने की अनुमति दी जाए  क्योंकि उनसे गारंटी लेना अपेक्षाकृत आसान है। सहारा ने कहा कि यदि अदालत उनके प्रस्ताव को आज ही स्वीकार कर उन्हें रिहा कर देती है  तो 25 अप्रैल तक 3 ००० करोड़ रुपये जमा कर दिए जाएंगे। धवन ने कहा कि यदि राय को देर से छोड़ा जाएगा  तो राशि जमा करने में भी देरी हो सकती है। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 26 मार्च के आदेश में राय को 1० ००० करोड़ रुपये जमा करने को कहा था। इस आदेश के तहत उनकी और उनके समूह की कंपनियों के दो अन्य निदेशकों की न्यायिक हिरासत से रिहाई के लिए उन्हें 5 ००० करोड़ रुपये की नकदी और शेष 5 ००० करोड़ रुपये के लिए किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की बैंक गारंटी जमा करनी है। अदालत ने कहा था कि यह राशि अदालत की रजिस्ट्री में जमा की जाएगी  जहां से इसे बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को भेज दी जाएगी।

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