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सोनिया गांधी पर नजर रखने के लिए आईबी अफसर का इस्तेमाल करते थे नरसिम्‍हा राव

l_rao-1466758531एजेंसी/ नई दिल्ली|यह बात जग-जाहिर है कि सोनिया गांधी नरसिम्‍हा राव को बतौर प्रधानमंत्री पसंद नहीं करती थीं और न ही राव यह चाहते थे कि सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्‍यक्ष और देश का प्रधानमंत्री बनाया जाए। मई 1995 में तो राव और सोनिया के रिश्ते इतने बिगड़ गए थे कि प्रधानमंत्री राव ने इंटेलीजेंस ब्यूरो से एक सीधा सवाल ही पूछ लिया था कि उनके केबिनेट के कितने मंत्री उनके (राव के) कट्टर समर्थक हैं और कितने 10, जनपथ के। इस खुलासे समेत अनेक खुलासे विनय सीतापति ने राव के व्यक्तिगत पत्रों के आधार पर एक किताब में किया है। किताब 27 जून को रिलीज की जाएगी। 

राजधानी के एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार आईबी ने उनके कहने के आधार पर नामों की एक सूची तैयार की। इस सूची में नाम, राज्य, जाति, उम्र, निष्ठा, टिप्पणी के कॉलम थे। उदाहरण के लिए, एम एस अय्यर-तमिलनाडु, ब्राह्मण, 52, 10 जनपथ समर्थक, पीएम द्वारा अयोध्या मुद्दे पर मनाना मुश्किल। इसी तरह मारगेट अल्वा के बारे में है-कर्नाटक, ईसाई, 52, हाईकमान (राव) समर्थक, राजनीतिक वजन कम, संगठन के लिए बेहतर अन्यथा कर्नाटक में ईसाई समुदाय की विपरीत प्रतिक्रिया। इस सूची के अन्त में उन नेताओं के नाम थे जिनको संगठन में लिए जाने पर विचार किया जा सकता था। 

इस सूची में सबसे ऊपर शरद पवार महाराष्ट्र, मराठा, डाउटफुल, अच्छे संगठनकर्ता और प्रभावी नेता। यह पहली बार नहीं था जब राव ने सोनिया के प्रभाव का प्रतिकार करने के लिए आईबी का सहारा लिया। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के अगले दिन 7 दिसम्बर 1992 को राव ने आईबी के एक अधिकारी को 10 जनपथ पर आने वाले कांग्रसियों के बारे में जानकारी के लिए तैनात करवाया था। आईबी की रिपोर्ट में बंगले के भीतर हुई सोनिया गांधी के साथ अर्जुन सिंह, दिगिवजय सिंह, ए के जोगी, सलामत उल्लाह और अहमद पटेल की बातचीत का भी ब्यौरा है। 

बातचीत में राव द्वारा स्थिति (बाबरी मस्जिद विध्वंस) से न निपट पाने पर अप्रसन्नता व्यक्त करना बताया गया है। जिस तरह प्रधानमंत्री अपनी सरकार का इस्तेमाल सोनिया गांधी पर निगाह रखने के लिए कर रहे थे, उसी तरह सोनिया भी कांग्रेसियों का इस्तेमाल राव पर निगाह रखने के लिए कर रहीं थीं। अखबार के अनुसार सोनिया ने 1992 के बाद राव के विरोधियों एनडी तिवारी, नटवर सिंह आदि को पोषित करना शुरू कर दिया था। ये लोग आए दिन सोनिया से मिलते थे। किताब में राव के निजी पत्रों के साथ ही लगभग 100 लोगों के साथ उनके साक्षात्कार का ब्यौरा है। किताब में यह भी है कि सोनिया नहीं चाहती थीं कि राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो।

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