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हनुमान जी और उनकी पत्नी की साथ में है मूर्ति, आखिर क्या है मान्यता


हैदराबाद : बचपन से हम सभी किताबों और टीवी में देखते और पढ़ते आ रहे हैं कि भगवान हनुमान बाल ब्रह्मचारी रहे हैं, लेकिन हमने यह बात की सुनी है कि उनके एक पुत्र था जिसका नाम मकरध्वज था। ऐसा बताया जाता है कि हनुमान जी जब समुद्र को पार कर रहे थे तभी उनके शरीर से पसीना बहने लगा। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी के पसीने का एक बूंद समुद्र में गिर गया और वो मगरमच्छ के पेट में चला गया। जिसके कारण मगरमच्छ गर्भवती हो गई और मकरध्वज का जन्म हुआ। इस कथा को तो सभी लोग जानते है, लेकिन अगर आपसे कहां जाएं कि भगवान हनुमान जी शादीशुदा थे तो क्या आप यकीन करेंगे। आप शायद यकीन करें या नहीं, लेकिन ये सच है।

हनुमानजी विवाहित थे और उनकी पत्नी भी थी। यह हम नहीं बल्कि तेलंगाना में खम्मम जिले में स्थित एक हनुमानजी के मंदिर में ऐसा देखने को मिला है। यह तो हम सभी जानते हैं कि जिस तरह राम के साथ सीता और कृष्ण के साथ राधा की मृर्ति होती है। उसी तरह हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी भी मूर्ति एक मंदिर में लगी हुई है। भारत के तेलंगाना में हनुमान जी को विवाहित होने की कथाएं प्रचलित्त६ हैं। आखिर पूरा मामला क्या है-

तेलगांना के खम्मम जिले में यहां पर हनुमानजी और सुवर्चला का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। पाराशर संहिता में भी हनुमान जी और सुवर्चला के विवाह की कथा है। स्थानीय लोग प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुद्ध दशमी को हनुमान जी के विवाह को बहुत ही धूमधाम तरीके से मनाते हैं। हालांकि ज्यादात्तर लोगों के लिए यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। पाराशर संहिता में उल्लेख मिलता है कि हनुमानजी अविवाहित नहीं, विवाहित हैं। उनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से हुआ है। संहिता के अनुसार हनुमानजी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं। इन सभी विद्याओं का ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया, लेकिन शेष 4 विद्याओं के लिए सूर्य के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया। शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे, इस कारण सूर्य देव उन्हें शेष चार विद्याओं का ज्ञान देने में असमर्थ हो गए। इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमानजी से विवाह करने की बात कही। शेष 4 विद्याएं पाने के लिए बहुत आनाकानी करने के बाद हनुमानजी ने विवाह के लिए हां कर दी।

जब हनुमानजी विवाह के लिए मान गए तब उनके योग्य कन्या की तलाश की गई और यह तलाश सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला पर जाकर खत्म हुई। सूर्य देव ने हनुमानजी से कहा कि सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी है और इसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो। सुवर्चला से विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको। सूर्य देव ने यह भी बताया कि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी। इस वजह से तुम्हारें ब्रह्मचर्य पर भी कोई आंच नहीं आएंगी। हिन्दू मान्यताओं की मानें, तो सुवर्चला किसी गर्भ से नहीं जन्मी थी और वो बिना योनि के पैदा हुई थी। ऐसे में उससे शादी करने के बाद भी हनुमान जी के ब्रह्मचर्य में कोई बाधा नहीं पड़ी। यह सब बातें जानने के बाद हनुमानजी और सुवर्चला का विवाह सूर्य देव ने करवा दिया। विवाह के बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो गईं और हनुमानजी से अपने गुरु सूर्य देव से शेष 4 विद्याओं का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया। इस प्रकार विवाह के बाद भी जीवनपर्यंत हनुमानजी ब्रह्मचारी बने हुए रहे।

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