राष्ट्रीयव्यापार

28 फीसदी के टैक्स स्लैब को खत्म करने की तैयारी,एमएसएमई सेक्टर को बूस्टर पैकेज मिलने की बढ़ी उम्मीद

नई दिल्ली : गुड्स एेंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लेकर सरकार ने अब एक देश आैर एक टैक्स पर काम करना शुरू कर दिया है। सरकार जहां एक तरफ जीएसटी की 28 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म करने पर काम कर रही है, वही दूसरी तरफ वह 12 आैर 18 फीसदी के जीएसटी के स्लैब को एक करने पर काम कर रही है। बैठक में एमएसएमई सेक्टर को बूस्टर पैकेज मिलने की उम्मीद है। साथ ही डिजिटल ट्रांजैक्शन और ई-पेमेंट पर कैशबैक स्कीम पर भी काउंसिल में सहमति बनने के आसार हैं।

जीएसटी के फिटमेंट कमिटी के प्रमुख आैर बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी के अनुसार अब सरकार, जीएसटी के 12 आैर 18 फीसदी के टैक्स स्लैब को एक करने पर काम कर रही है। इस बारे में राज्यों से बातचीत की जा रही है। 12 आैर 18 फीसदी टैक्स स्लैब को 14 फीसदी का टैक्स स्लैब बनाया जा सकता है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार धीरे-धीरे अब जीएसटी के 28 फीसदी के टैक्स स्लैब को खत्म किया जा रहा है। मौजूदा समय में जीएसटी के 28 फीसदी स्लैब में 37 प्रोडेक्ट्स ही बचे हैं। इसको भी इस स्लैब से निकाल लिया जाएगा। सीमेंट को 28 फीसदी टैक्स स्लैब से बाहर निकालने पर सैद्धांतिक तौर पर सहमति बन चुकी है। सूत्रों के अनुसार अब सरकार यह देख रही है कि जीएसटी टैक्स की स्थिति क्या है। अगर जीएसटी के टैक्स स्लैब को कम किया गया तो इसका टैक्स कलेक्शन पर क्या असर पड़ेगा। वहीं सुशील मोदी का कहना है कि जीएसटी टैक्स स्लैब में बदलाव से टैक्स कलेक्शन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसका कारण है कि जीएसटी कम होने से वाल्युम बढ़ेगा। यानी कारोबार बढ़ेगा। कारोबार बढ़ने से टैक्स कलेक्शन में इजाफा होगा। जाे लोग यह कह रहे है कि जीएसटी कम होने से टैक्स कलेक्शन कम होगा, वे सिक्के का एक पहलू देख रहे हैं| उन्हों सिक्के का दूसरा पहलू भी देखना चाहिए। जीएसटी काउंसिल की शनिवार को अहम बैठक है। यह बैठक पूरी तरह से छोटे-मझोले कारोबारियों पर फोकस होगी। बैठक में एमएसएमई सेक्टर को बूस्टर पैकेज मिलने की उम्मीद है। साथ ही डिजिटल ट्रांजैक्शन और ई-पेमेंट पर कैशबैक स्कीम पर भी काउंसिल में सहमति बनने के आसार हैं। सुशील मोदी के अनुसार हमारी कोशिश होगी कि हम ज्यादा से ज्यादा छोटे कारोबारियों को फायदा दे सकें। हम चाहते हैं कि जीएसटी आने के बाद छोटे आैर मझौले व्यापारियों को कारोबार करना आसान हो। इस बैठक में छोटे कारोबारियों से जुड़ी परेशानियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। सूत्रों के अनुसार जीएसटी की बैठक में एमएसएमई को राहत पर 100 से ज्यादा सिफारिशें राज्यों से मिली हैं। इन सिफारिशों के आधार पर इंटर स्टेट कारोबार पर भी छूट मिल सकती है। अभी इंटर-स्टेट लेनदेन में जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इसके अलावा एमएसएमई के भुगतान के एक हिस्से का रिफंड की प्रक्रिया सरल बनाने, देश में कहीं भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन की सुविधा देने, सिंगल जीएसटी आईडी से पूरे देश में कारोबार करने की सुविधा देने, टर्नओवर की सीमा बढ़ाने पर, तिमाही रिटर्न पर हर माह टैक्स भरने से राहत अपील की फीस आधी करने जैसी सिफारिशों पर भी अंतिम फैसला लिया जा सकता है|

Related Articles

Back to top button