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हीलियम भरे बॉक्स में सुरक्षित रखी है संविधान की ओरिजनल कॉपी

नई दिल्ली : किसी भी देश के लिए संविधान महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि भारत का संविधान ब्रिटेन और अमेरिका का नकल करके बनाया गया है। वहीं ब्रिटेन में संविधान पारम्परिक संविधान है, यानि समाज में जो परम्परा है, उसी के हिसाब से देश चलता है। तो यह कैसे सम्भव हो सकता है कि ब्रिटेन और भारत का समाज एक ही तरह है। जब ब्रिटेन का संविधान ब्रिटेन के समाज के अनुसार है तो भारत का भी संविधान भारतीय समाज के अनुसार होना चाहिए। बहरहाल, भारत का कानून संविधान का पालन करती है। संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथ से लिखी थी। ये बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है। इसके हर पन्ने को शांति निकेतन के कलाकारों ने सजाया था। संविधान की असली कॉपी संविधान की असली प्रतियां हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में लिखी गई थीं, इन्हें आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित रखा गया है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान बनकर तैयार हुआ था, लेकिन इसे कानूनी रूप से 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इसी दिन को आज हम भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई थी और संविधान को तैयार करने में कुल 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा था। हाथ से लिखे हुए संविधान पर 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, जिसमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं। दो दिन बाद 26 जनवरी से यह संविधान देश में लागू हो गया था। संविधान 25 भागों, 448 अनुच्छेदों और 12 सूचियों में बंटा भारतीय संविधान किसी दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जब संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार कर लिया गया और इसे बहस और सुझावों के लिए संविधान सभा के सामने रखा गया तो इसे फाइनल किए जाने से पहले इसमें 2 हजार संशोधन किए गए थे। हमारे देश के संविधान की प्रस्तावना, अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना जैसी है। दोनों की शुरुआत ‘वी द पीपल’ से ही होती है। पंचवर्षीय योजनाओं का फॉर्मूला रूस से लिया गया था और राज्य के नीति-निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं। हमारे संविधान की प्रस्तावना में मौजूद स्वतंत्रता, समानता और भातृत्व के आदर्श फ्रांस की क्रांति से लिए गए हैं। यही फ्रांस की क्रांति का उद्देश्य वाक्य भी था।

हमारे संविधान की प्रस्तावना में मौजूद स्वतंत्रता, समानता और भातृत्व के आदर्श फ्रांस की क्रांति से लिए गए हैं। यही फ्रांस की क्रांति का उद्देश्य वाक्य भी था। हमारे संविधान की प्रस्तावना में मौजूद स्वतंत्रता, समानता और भातृत्व के आदर्श फ्रांस की क्रांति से लिए गए हैं। यही फ्रांस की क्रांति का उद्देश्य वाक्य भी था। हमारे संविधान निर्माता संविधान का खाका तैयार करने के दौरान कई देशों के संविधान से प्रभावित थे, इसीलिए कई बार कुछ विशेषज्ञ भारतीय संविधान को भानुमति का पिटारा जैसे नामों से पुकारकर इसकी आलोचना भी करते हैं। हमारे संविधान निर्माता संविधान का खाका तैयार करने के दौरान कई देशों के संविधान से प्रभावित थे। इसीलिए कई बार कुछ विशेषज्ञ भारतीय संविधान को भानुमति का पिटारा जैसे नामों से पुकारकर इसकी आलोचना भी करते हैं। हमारे संविधान में मौजूद मौलिक अधिकारों को भी अमेरिकी संविधान से ही लिया गया है। भारतीय संविधान में 9 मूल अधिकारों का जिक्र है, जिन्हें नागरिकों के सामान्य मानवाधिकारों के तौर पर जाना जाता है। शुरुआत में संविधान में दिया प्रॉपर्टी का अधिकार भी मौलिक अधिकार था। हमारे संविधान के अनुच्छेद 31 में इसका जिक्र था। हालांकि 44वें संविधान संशोधन के जरिए इसे 1978 में हटा दिया गया। भारतीय संविधान को दुनिया के बेहतरीन संविधानों में से एक भी माना जा सकता है क्योंकि लागू होने के 62 सालों बाद भी इसमें केवल 94 संशोधन किए गए थे। फिलहाल हमारे संविधान में 100 से भी ज्यादा संशोधन हो चुके हैं। भारतीय संविधान को दुनिया के बेहतरीन संविधानों में से एक भी माना जा सकता है क्योंकि लागू होने के 62 सालों बाद भी इसमें केवल 94 संशोधन किए गए थे। फिलहाल हमारे संविधान में 100 से भी ज्यादा संशोधन हो चुके हैं।

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