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47 साल बाद मिला गोल्ड मेडल

Ajit-Singh-Singhvi_576cdaf8dcbe5एजेंसी/ जयपुर : राजस्थान के 81 वर्षीय अजीत सिंह सिंघवी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी है। वो भले ही रिटायर हो गए हो, लेकिन उनकी सोच अब भी एक नए अधिकारी की तरह है। 47 साल की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद उन्होने राजस्थान विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल लिया। 2003 में उन्होने हाई कोर्ट से गोल्ड मेडल की जंग जीती थी।

लेकिन इसके बाद भी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे देने में उन्हें 13 साल लगा दिए। अपने से छोटे उम्र के कुलपति जे पी सिंघल से गोल्ड मेडल लेने की जिद भी उन पर ऐसे सवार थी, कि वो इससे कम कुछ लेंगे ही नहीं। 1969 में में इन्होंने एलएलबी की परीक्षा दी मगर राजस्थान विश्विधालय ने उन्हें मेरीट में दूसरे स्थान पर चुना।

उन्होंने नंबर देने के तरीके के फैसले के खिलाफ मुंशीफ कोर्ट में याचिका दायर कर दिया। इस बीच अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1979 में आईएस भी बन गए। इसके बाद वो कलेक्टर बने, लेकिन कोर्ट में हर पेशी में शामिल होते रहे। 300 पेशियों में शामिल होने के बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जहां से कोर्ड ने गोल्ड मेडल देने का आदेश दिया।

लेकिन इसके बाद भी 13 साल लगे। हाथ में डिग्री लिए और गले में मेडल लटकाए सिंघवी कहते है खुशी है 47 साल बाद ही सही मुझे मेरा हक तो मिला। कुलपति ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वो मेडल दे पाएं और दुख भी है कि इसमें इतना वक्त लग गया।

राजस्थान विश्वविद्यालय के वकील अशोक मारु का कहना है कि उस वक्त जो मुकदमे में पार्टी थे उन्हें खोजने में 12 साल का वक्त लग गया, उस समय के टॉपर के अलावा भी चार-पांच लोग इस मामले में पार्टी थे जिनका कोई पता हीं नही मिल रहा था। इसलिए फैसले के एग्जक्यूशन में 12 साल लग गए और 8 महीने फार्मेलिटिज में देरी हुई है।

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