व्यापार

70 फीसदी दो-पहिया वाहन के स्वामी नहीं कराते हैं बीमा

आईआरडीएआई ने हाल ही में कुछ नई नियमावली जारी की है, जिससे भारत में मोटर बीमा का क्षेत्र एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इन नियमावली ने बीमा के क्षेत्र के दो प्रमुख चिंता को दूर करने में मदद की है।

70 फीसदी दो-पहिया वाहन के स्वामी नहीं कराते हैं बीमा पहला है बीमा का अभाव और दूसरा बीमा में जागरुकता की कमी। भारत में अगर हम देखें तो पाएंगे कि 70 फीसदी दो पहिया वाहन, 25 फीसदी निजी कार और लगभग 40 फीसदी व्यवसायिक वाहनों का बीमा नहीं है। बावजूद इसके कि कानून उन्हें थर्ड पार्टी बीमा के लिए अनिवार्य करता है।

सड़क सुरक्षा से जुडा है मोटर बीमा
हाल ही में प्रकाशित रोड एक्सीडेंट रिपोर्ट 2017 के अनुसार कुल 4 लाख दुर्घटना हुईं, जिनमें से 1.34 लाख घातक दुर्घटनाएं थीं। इन सभी दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोग मारे गए जो औसतन 400 प्रतिदिन आता है। इस तरह दुर्घटनाओं से होनेवाले जन और धन की हानि को रोकने के लिए यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि मोटर बीमा और सड़क सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर जन जागरुकता फैलाई जाए।

मैने हमेशा यह देखा है कि लोग दो पहिया या चार पहिया वाहनों को लेकर बहुत ही उत्साहित रहते हैं और हमेशा फर्स्ट राइड को तैयार रहते हैं। परंतु मैने यह कभी नहीं देखा कि वे मोटर खरीदने के साथ उसके बीमा को लेकर भी उतने ही उत्साहित हो और अपने वाहन की रक्षा के लिए कुछ तैयारी कर लें। उनके लिए बीमा एक अंतिम चीज है जिसके बारे में कभी कभार ही प्राथमिकता देते हैं।

अभी हाल ही में लांग टर्म मोटर थर्ड पार्टी बीमा जारी की गई है और उसके साथ ही साथ पर्सनल एक्सीडेंट कवर का सम अश्योर्ड भी बढ़ा दिया गया है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह काफी हद तक लोगों के नजरिये में परिवर्तन लाएगा।

लांग टर्म मोटर थर्ड पार्टी

आईआरडीएआई ने अभी हाल ही में 4 पहिया और 2 पहिया वाहनों को 3 और 5 साल के लिए लांग टर्म मोटर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी को अनिवार्य बना दिया है। इससे इंश्योरेंस के क्षेत्र में अभाव की समस्या तो हल होगी हीए साथ में इसके जरिए देश में मोटर इंश्योरेंस को एक नई गति मिलेगी।
यह हो सकता है कि कुछ लोग सोचे की नए नियम आ जाने के बाद दो पहिया या चार पहिया खरीदना थोड़ा महंगा हो जाएगा क्योंकि प्रीमियम ज्यादा लंबे समय के लिए होगा, परंतु उन्हें इससे होनेवाले लंबे समय के फायदे के बारे में भी सोचना चाहिए।

इससे हर साल बीमा नवीनीकरण करने के झंझट से मुक्ति मिलेगी और साथ ही साथ सड़कों पर दौड़ने वाले ज्यादे से ज्यादा वाहन बीमित और सुरक्षित होंगे। यह महत्वपूर्ण इस मायने में भी है कि जो लोग यह नहीं जानते हैं कि एक ड्राइवर या वाहन चालक द्वारा होनेवाले किसी थर्ड पार्टी मौत के मामले में होनेवाले नुकसान असीमित होता है और जिसने बीमा नहीं कराया है उसे लाखों या करोड़ों रुपये भरने पड़ सकते हैं।

पर्सनल एक्सीडेंट कवर की गति
मुझे इस बात का पूरा यकीन है कि ज्यादातर वाहन चालकों के पास पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी जरूर होती है, क्योंकि यह उन्हें उनकी मौत या शारीरिक अक्षमता के बदले में एक अच्छा खासा कवर प्रदान  करती है और इसकी लागत भी काफी कम आती है। आईआरडीएआई ने अभी हाल ही में पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी को आवश्यक बना दिया है जिसमें मृत्यु या स्थायी शारीरिक अक्षमता के बदले में कम से कम 15 लाख रुपये का कवर दिया जाता है।

इसे और भी आसान बनाने के लिए आईआरडीएआई ने स्पष्ट किया है कि वहां के ड्राइवर या मालिक को एक से ज्यादा वाहनों के लिए एक से ज्यादा कंपल्सरी पर्सनल एक्सीडेंट कवर लेने की जरूरत नहीं है।

इसके अलावाए अगर किसी के पास जनरल पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी है जिसमें मृत्यु और स्थायी शारीरिक विकलांगता का कवर कम से कम 15 लाख रुपये तक का शामिल है तो वाहन के साथ वाले को पर्सनल एक्सीडेंट कवर खरीदना जरूरी नहीं होगा।

इसके चलते लोग पर्सनल एक्सीडेंट कवर के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरुक होंगे। इस प्रकार अगर पॉलिसी धारक के साथ कोई अवांछित दुर्घटना घट जाए तो उनको ज्यादा से ज्यादा राहत और उनके पारिवारिक सदस्य को अच्छी खासी आर्थिक मदद मिलेगी।

बढ़ेगी जागरूकता
मोटर बीमा पॉलिसी में आये बड़े बदलाव और अनिवार्य पर्सनल एक्सीडेंट मामले में सम इंश्योर्ड में हुई वृद्धि के चलते मोटर बीमा के क्षेत्र में ना सिर्फ बड़े पैमाने पर जनजागरुकता का निर्माण होगा, बल्कि साथ ही साथ दुर्घटना में घायल या मृतक के परिवार के सदस्यों को जो आर्थिक सुरक्षा मिलेगी वो अलग।

ज्यादातर लोग मोटर बीमा पॉलिसी को वाहन खरीदते समय इसलिए लेते हैं कि उन्हें ऐसा करना जरूरी लगता है। परंतु एक बार औपचारिकता पूरी हो जाने के बाद लोग इसे भूल जाते हैं और वो मुश्किल से ही इसका नवीनीकरण कराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह एक अनावश्यक खर्च है। उन्हें इसकी याद तब आती है जब ट्रैफिक पुलिस पकड़ती है या फिर किसी दुर्घटना के बाद पॉलिसी को प्रस्तुत करना पड़ता है।

एक कुशल से कुशल वाहन चालक भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है। इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि रेगुलेटर आईआरडीएआई ने आपने नियमावली में संसोधन कर अच्छा किया हैए जिसकी भविष्य में किसी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना होने पर मोटर चालक की और उनके परिवार के सदस्यों की सामाजिक और आर्थिक रूप से रक्षा होगी और ज्यादा से ज्यादा वाहन का बीमा होगा वो अलग।

Related Articles

Back to top button