सावधान :मॉनसून के साथ-साथ डेंगू बुखार ने दी दस्तक
नई दिल्ली: गर्मी बढ़ने पर हम सभी सोचते हैं कि जल्दी बारीश हो, लेकिन बारीश के बाद होने वाली उमस को हममे से कोई भी बर्दाशत नहीं कर पाता है। बारिश का मौसम सभी का फेवरिट होता है। इस रिमझिम बरसात में कोई भीगना पसंद करता है, तो कोई बीमारी के डर से खुद को घर में कैद करना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मॉनसून के सीज़न के दस्तक देते ही, मच्छर के पैदा होने का खतरा भी बढ़ता है। बारिश का मौसम मच्छरों के लिए अनुकूल होता है। इसमें डेंगू मच्छर तो बढ़ता ही है, साथ ही डेंगू बुखार से मरीजों की संख्या भी बढ़ती है।
लिहाजा मॉनसून में डेंगू मच्छरों से खुद का बचाव करना बेहद आवश्यक होता है। इसके लिए आपको कई सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं। जैसे घर के आसपास गड्डों में भरा पानी साफ करना, कूलर में जमे पानी को निकालकर साफ पानी भरना आदि।
एचसीएफआई के अध्यक्ष और आईएमए के मानद महासचिव, डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि “रात को बिस्तर पर मच्छरदानी लगाने से डेंगू से बचाव नहीं किया जा सकता है। क्योंकि डेंगू के मच्छर सबसे ज़्यादा दिन में सक्रिय होते हैं”। उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि “दिन में अच्छी तरह से सील बंद या वातानुकूलित कमरों में रहने से डेंगू से बचा जा सकता है। अगर बाहर जाना है, तो पूरी बाजू के कपड़े पहनें और एन, एन-डाइथायल-मेटाटोल्यूमाइड जैसी असरदार मच्छर प्रतिरोधक दवा का इस्तेमाल करें”।
ऐसे कर सकते हैं डेंगू बुखार से खुद का बचाव
डॉक्टर का कहना है कि “मरीज में अचानक प्लाज्मा लीकेज होने से समस्या हो सकती है। इसलिए ज़्यादा खतरे वाले मरीजों की जांच शुरुआत से ही हो जानी चाहिए। सबसे ज्यादा शॉक का खतरा बीमारी के तीसरे से सांतवें दिन में होता है। यह बुखार के कम होने से जुड़ा हुआ होता है। प्लाज्मा लीकेज का पता बुखार खत्म होने के प्रथम 24 घंटे और बाद के 24 घंटे में चल जाता है। ऐसे में व्यक्ति में पेट में दर्द, लगातार उल्टियां, बुखार से अचानक हाईपोथर्मिया हो जाना या असामान्य मानसिक स्तर, जैसे कि मानसिक भटकाव वाले लक्षण देखे जाते हैं”।
डॉ. अग्रवाल के अनुसार, इसमें हमेटोक्रिट में वृद्धि हो जाती है, जो इस बात का संकेत होता है कि प्लाज्मा लीकेज हो चुका है और शरीर में तरल की मात्रा को दोबारा सामान्य स्तर पर लाना बेहद आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि गंभीर थ्रोमबॉक्टोपेनिया (100,000 प्रति एमएम से कम) डेंगू हेमोर्हेगिक बुखार का मापदंड है और अक्सर प्लाज्मा लीकेज के बाद होता है।
सीरम ट्रांसमाईनज में हल्की-सी वृद्धि होना डेंगू बुखार और डेंगू हेमोर्हेगिक बुखार में आम बात है। लेकिन पहले से दर्ज बुखार की तुलना में इन दोनों में बुखार का स्तर काफी ज़्यादा होता है। जिन मरीजों में यह लक्षण न मिले, उनमें यह बीमारी आसानी से इलाज करके ठीक की जा सकती है। इसके लिए हर रोज रक्तचाप, हमेटोक्रिट और प्लेटलेट्स की संख्या का ओपीडी में चैकअप करवाना आवश्यक हो जाता है। लेकिन निम्नलिखित लक्षणों की मौजूदगी में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना ज़रूरी हो जाता है। जैसे ब्लड प्रेशर 90 और 60 प्रति एमएमएचजी से कम होना, हमेटोक्रिट 50 प्रतिशत से कम हो जाना, प्लेटलेट्स संख्या 50000 प्रति एमएम3 से कम हो जाना, पेटेचेयाई के अलावा ब्लीडिंग के प्रमाण मौजूद होना आदि।
अगर आप भी इस सीज़न डेंगू के बुखार से बचना चाहते हैं, तो समय पर घर के आसापस की सफाई कर खुद को बीमार होने से बचाएं।