नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने एक और अहम् कदम उठाया है, और पूरे देश को प्लास्टिक मुक्त करने का संकल्प लिया है, इस मुहीम में हम उनका साथ दे कर देश को और अपनी सोंच को बदले जिससे हमारे देश का भविष्य और भी मजबूत होगा। और अपनी सरकार के मूलमंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास’ में प्रकृति के शामिल होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि देश ने वर्ष 2022 तक ‘सिंगल यूज प्लास्टिक’ से मुक्त होने का संकल्प लिया है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से ‘चैंपियन्स ऑफ द अर्थ’ अवॉर्ड ग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां सबसे तेज़ गति से शहरीकरण हो रहा है। ऐसे में अपने शहरी जीवन को स्मार्ट और टिकाऊ बनाने पर भी बल दिया जा रहा है। आधारभूत ढांचे को पर्यावरण और समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ टिकाऊ बनाया जा रहा हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि आबादी को पर्यावरण पर, प्रकृति पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना, विकास के अवसरों से जोड़ने के लिए सहारे की आवश्यकता है, हाथ थामने की ज़रूरत है। मोदी ने कहा, ‘‘ इसलिए मैं जलवायु न्याय की बात करता हूं। जलवायु न्याय सुनिश्चित किए बिना जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटा नहीं जा सकता।’’ उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है और हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल रहे हैं। इसके लिये सरकार पूरी तरह समर्पित है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिये नहीं हो रहा है कि किसी से प्रतिस्पर्धा है। ऐसा इसलिये हो रहा है कि आबादी के एक हिस्से को गरीबी का दंश झेलने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘हम भारत में सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर काम करते हैं और इसमें प्रकृति के सुन्दर रूप को भी संवारना है भी शामिल है।’’ मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की पैरवी करने के लिए अग्रणी कार्यों तथा पर्यावरण कार्रवाई के लिये सहयोग के नए क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने के लिए संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान दिया गया। हरित अर्थव्यवस्था के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘भारत की अर्थव्यवस्था के लिये गांव और शहर दोनों का महत्व है। ऐसे में यह सम्मान, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिबद्धता का है।’’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार वर्ष 2005 के आंकड़ों की तुलना में साल 2030 तक उत्सर्जन प्रभाव को 30 से 35 प्रतिशत कम करने की दिशा में काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज भारत में घरों से लेकर गलियों तक, दफ्तरों से लेकर सड़कों तक, पोर्ट्स से लेकर एयरपोर्ट्स तक, जल और ऊर्जा संरक्षण की मुहिम चल रही है।उन्होंने कहा कि एलईडी बल्ब से लेकर वर्षा जल प्रबंधन तक हर स्तर पर प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। देश के राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेसवे को पारिस्थितकी के अनुकूल बनाया जा रहा है। उनके साथ-साथ हरित ऊर्जा का विकास किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि मेट्रो जैसे सिटी ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को भी सौर ऊर्जा से जोड़ा जा रहा है। वहीं रेलवे की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी हम तेज़ी से कम कर रहे हैं। ‘‘इन सारे प्रयासों के बीच, अगर सबसे बड़ी सफलता हमें मिली है, तो वह है लोगों के आचरण, लोगों की सोच प्रक्रिया में बदलाव की।’’ ।यहां आयोजित समारोह में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने प्रधानमंत्री को ‘चैंपियन्स ऑफ द अर्थ’ सम्मान प्रदान किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सोच की वजह से 17.19 रुपये प्रति यूनिट मिलने वाली सौर ऊर्जा आज 2 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से मिल रही है। वहीं, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मान भारत की उस नित्य नूतन, चिर पुरातन परंपरा का सम्मान है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है और जिसने सृष्टि के मूल में पंचतत्व के अधिष्ठान का आह्वान किया है। यह सम्मान जंगलों में रहने वाले आदिवासियों, मछुआरों, नारी और जलवायु की चिंता करने वाले लोगों का है।