जानिए, कब है राखी बांधने का सबसे अच्छा शुभ मुहूर्त…
15 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार है। यह त्योहार भाई और बहन के अटूट रिश्ते और प्यार की निशानी है। इस त्योहार में बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं। मान्यता है कि इस दिन भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से लंबी उम्र मिलती है। इसके बदले में भाई अपने बहनों को रक्षा करने का वादा करते हैं। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों की आरती उतारती है और माथे पर टिका लगाकर मिठाई खिलाती हैं।
रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन का यह पर्व हर साल सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बार रक्षा बंधन के दिन भद्रा की अशुभ छाया नहीं रहेगी जिसके कारण पूरे दिन राखी बांधने का शुभ समय रहेगा।
राखी बांधने का शुभ समय- सुबह 5 बजकर 54 मिनट से शाम 5 बजकर 59 मिनट तक
राहुकाल में ना बांधे राखी- दोपहर 02:03 से 03:41 बजे तक
इस बार क्यों खास है रक्षाबंधन
इस बार रक्षाबंधन का त्योहार गुरुवार के दिन पड़ेगा। ज्योतिष के अनुसार गुरुवार का दिन गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र को दानवों पर विजय प्राप्ति के लिए इंद्र की पत्नी से रक्षासूत्र बांधने के लिए कहा था जिसके बाद इंद्र ने विजय प्राप्ति की थी। राखी का त्योहार गुरुवार के दिन आने से इसलिए इसका महत्व काफी बढ़ गया है।
इस बार ग्रहण और भद्रा से मुक्त रहेगा रक्षाबंधन
रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा भद्रा और ग्रहण से मुक्त ही मनाया जाता है। शास्त्रों में भद्रा रहित काल में ही राखी बांधने का प्रचलन है। भद्रा रहित काल में राखी बांधने से सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है। इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा की नजर नहीं लगेगी। इसके अलावा इस बार श्रावण पूर्णिमा भी ग्रहण से मुक्त रहेगी जिससे यह पर्व का संयोग शुभ और सौभाग्यशाली रहेगा।
क्या है भद्रा काल
मान्यता के अनुसार जब भी भद्रा का समय होता है तो उस दौरान राखी नहीं बांधी जा सकती। भद्राकाल के समय राखी बांधना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। जिस तरह से शनि का स्वभाव क्रूर और क्रोधी है उसी प्रकार से भद्रा का भी है।
भद्रा के उग्र स्वभाव के कारण ब्रह्माजी ने इन्हें पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। पंचाग में इनका नाम विष्टी करण रखा गया है। दिन विशेष पर भद्रा करण लगने से शुभ कार्यों को करना निषेध माना गया है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में ही अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था जिसके कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था।
इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं रहेगा। इसलिये बहनें भाइयों की कलाई पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच किसी भी समय पर राखी बांध सकती हैं।