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1975 के बाद भारत और चीन सीमा पर पहली बार शहीद हुए जवान

नई दिल्ली : भारत व चीन सीमा पर बीते सोमवार की रात माहौल अचानक बदल गया। चीन की तरफ से लद्दाख बॉर्डर पर हिंसा हुई जिसमें भारतीय सेना के एक अधिकारी और दो जवानों को खो दिया। ऐसा करीब 45 साल बाद हुआ है कि भारत-चीन बॉर्डर पर हिंसा में किसी सैनिक की शहादत हुई हो। वैसे माना जाता है कि LAC बॉर्डर पर आखिरी फायरिंग (दोनों तरफ से) 1967 में हुई थी, लेकिन ऐसा सच नहीं है। चीन की तरफ से 1975 में भी भारतीय सैनिकों पर हमला हुआ था।

भारत और चीन के बीच आखिरी गोली 1967 में चली थी। यानी 53 साल पहले। यह हिंसक झड़प सिक्किम में हुई थी। चीन वहां इसलिए चिढ़ा हुआ था क्योंकि 1962 की जंग के बाद भारत उस इलाके में अपनी स्थिति लगातार बेहतर कर रहा था। 1967 की इस जंग में भारत के 80 जवान शहीद हुए थे। वहीं चीन के करीब 400 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी।

भारत और चीन की तरफ से आखिरी गोलीबारी 1967 में जरूर हुई थी लेकिन इसके 8 साल बाद भी चीन ने घात लगाकर हमला किया था। इसमें चार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।

हालांकि लाख तनाव के बावजूद चीनी सीमा पर हिंसा नहीं होने की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में कहा था कि दोनों देशों तरफ से बॉर्डर पर एक भी गोली नहीं चलाई गई है जो दोनों की ही ‘परिपक्वता’ दिखाता है।

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