उत्तराखंड: उत्तराखंड हाइकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) परेश त्रिपाठी का हार्ट अटैक से रविवार देर रात्रि बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में निधन हो गया। परिवार के लिए बेहद दुःखद-दुर्योग यह है कि बीते करीब ढाई वर्षों में उनके परिवार में यह पांचवी मौत है।
इससे पूर्व उनकी माता, फिर दादी तथा बीते वर्ष ही भाई एवं भाभी की मौत हुई थी। भाई एवं भाभी की मौत का कारण भी हृदयाघात ही बताया जा रहा है। उनकी अंतिम यात्रा चित्रशिला घाट रानीबाग के लिए रवाना हुई। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में अधिवक्ता, न्यायिक अधिकारी एवं स्थानीय लोग शामिल हुए।
हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे, कुमाऊं के मंडलायुक्त एवं मुख्यमंत्री के सचिव अरविंद ह्यांकी, आईजी अजय रौतेला, महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, पूर्व महाधिवक्ता विजय बहादुर नेगी सहित अनेक अधिवक्ताओं, अधिकारियों व उनके मित्रों-रिश्तेदारों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी बहन भी भाई की मृत्यु का समाचार सुनकर सुबह ही लखनऊ से यहां पहुंच गई हैं।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी त्रिपाठी की काबिलियत इस बात से समझी जा सकती है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के बाद आई भाजपा की वर्तमान त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में भी वे सीएससी बने रहे। भाजपा सरकार आने पर त्रिपाठी को हटाने के लिए भी प्रयास हुए लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर पाई। वह अकेले ही सरकार के लिए ढाल बनते थे। सरकार के खिलाफ मुकदमों की पैरवी के भारी दबाव के बावजूद हमेशा हंसमुख रहते थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट से राहत दिलाने के मामले में भी त्रिपाठी ने अहम भूमिका निभाई थी। अब उनके स्थान पर नए सीएससी की नियुक्ति करना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। उनकी सिफारिश पर अनेक अधिवक्ता सरकार के पैनल में शामिल किए गए थे। परिवार व सरकार के साथ ही उनके लिए भी त्रिपाठी का जाना बड़ी क्षति है।
त्रिपाठी मूल रूप से द्वाराहाट के दैरी गांव निवासी थे और वर्तमान में लखनऊ रहते थे। मंगलवार को हाइकोर्ट खुलने के दृष्टिगत वह सोमवार को नैनीताल आ रहे थे। बताया जा रहा है कि वह बुकिंग की गाड़ी के चालक के पहाड़ पर गाड़ी चलाने में परेशानी होने के कारण हल्द्वानी से स्वयं कार चला कर नैनीताल लाए थे।
स्वर्गीय त्रिपाठी (51) रविवार को अपने लखनऊ स्थित घर से अपने चालक के साथ नगर के मेविला कंपाउंड, तल्लीताल स्थित आवास पर पहुंचे ही थे कि घर के बाहर ही उन्हें सीने में तेज दर्द उठा। बताया जा रहा है कि बुकिंग वाली गाड़ी के चालक को पहाड़ की सड़क में चलाने में दिक्कत हुई तो हल्द्वानी से वह खुद ही नैनीताल तक गाड़ी चला कर लाए। चिड़ियाघर रोड से मेविला कंपाउंड को जाने वाली जिला पंचायत वाली खड़ी रोड की चढ़ाई में उन्हें दर्द शुरू हुआ। जैसे-तैसे उन्होंने घर तक गाड़ी पहुंचा दी।
अधिक दर्द होने पर वह वहीं पर बैठ गए तो उन्हें चालक सीधे बीडे पांडे जिला चिकित्सालय उपचार के लिए ले गया, जहां वरिष्ठ फिजीशियन डा.एमएस दुग्ताल, डा. धामी, डा. रावत, डा. वर्मा सहित कई चिकित्सकों की टीम उन्हें बचाने के लिए जुटी, लेकिन उन्हें बचाया नहीं नहीं जा सका। करीब आधे घंटे के उपचार के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया। चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने पुष्टि करते हुए बताया कि बेहद तीव्र हृदयाघात के उपरांत करीब आधे घंटे चिकित्सालय में उपचार के दौरान ही उत्तराखंड हाइकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने दम तोड़ दिया। उन्हें बचाया नहीं जा सका।
अस्पताल में निधन की सूचना पर महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार अनुज संगल समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता, शहर के गण्यमान्य लोग तथा हाईकोर्ट के कर्मचारी अस्पताल पहुंच गए। जरूरी औपचारिकता के बाद शव को एम्बुलेंस में उनके आवास के लिए भेज दिया गया। साथ आई पत्नी, बेटी श्रेया व बेटे जयेश को लोगों ने बमुश्किल संभाला।
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उत्तराखंड हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ हर सिविल मामले में ढाल बनने वाले त्रिपाठी के निधन की सूचना पूरे शहर में आग की तरह फैल गई लेकिन कोई पुलिस या प्रशासन का अधिकारी अस्पताल नहीं आया। बताया जाता है कि जिले के प्रशासनिक अफसरों को मोबाइल से कॉल की गई लेकिन फोन नहीं उठे। इस पर अधिवक्ताओं में खासा आक्रोश भी देखा गया।
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