अद्धयात्म

मृत्यु से पहले जीवन की इस चीज को भी नष्ट करती है अग्नि

दस्तक टाइम्स/एजेंसी-yagya-54f197f5c1355_l अग्नि हिन्दू प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अग्नि को कई धार्मिक रस्मों में उपयोग किया जाता है, जो एक प्रतीक है देवताओं से जुड़ने का। अग्नि निर्माता और जीवन का नाशक दोनों ही है।

हिंदुओं ने इसे रस्मों और प्रथाओं के कई माध्यम से इस तथ्य को पहचाना है। हिंदू धर्म में अग्नि पांच पवित्र तत्वों में से एक है, जिसको सभी पवित्र धार्मिक क्रियाओं में शामिल किया जाता है।

ओशो कहते हैं कि अग्नि जीवन का एक सार है और जीवन अग्नि के माध्यम से मौजूद है, जो सूर्य की ऊर्जा के रूप में भी हो सकती है और प्रेम ऊर्जा के रूप में भी हो सकती है लेकिन जीवन अग्नि के माध्यम से ही मौजूद है।

जब आप खाना खाते है तो आप साफ तौर पर सघन अग्नि का सेवन कर रहे हैं। वृक्ष और फल, जिन्हें आप खाते हैं, वे सूर्य का प्रकाश अवशोषित करने लायक अग्नि का तैयार रूप है। जीवन अग्नि के बिना संभव नहीं है क्योंकि मूलरूप से अग्निजीवन है।

लेकिन अग्नि के दो रूप भी हो सकते हैं। ये विनाशात्मक और सृजनात्मक भी हो सकती है। अग्नि आपके घर को जला भी सकती है और ये आपके घर को गर्म भी रख सकती है। इसलिए अग्नि को सही दिशा में, सही तरीके से प्रयोग के लिए व्यक्ति को सजग, जाग्रत, जागरुक होना होगा, व्यक्ति को बेहद चिंतनशील होना होगा।

अग्नि में और बड़ी खूबी थी, वह और भी गहरी थी और वह यह थी कि अग्नि पहले तो ईंधन को जलाती है और फिर खुद ही जल जाती है। पहले ईंधन राख होता है, फिर अग्नि खुद राख हो जाती है। ज्ञान के लिए यह प्रतीक बड़ा गहरा बन गया है।

पहले तो ज्ञान अज्ञान को मिटाता है और फिर ज्ञान ज्ञान को भी मिटा देता है। ज्ञान पहले तो अज्ञान को जलाता है, फिर ज्ञान को भी जला देता है, ज्ञानी को भी जला देता है, फिर अग्नि भी बुझ जाती है, फिर अंगारे भी बुझ जाते हैं, फिर राख ही रह जाती है, सब समाप्त हो जाता है।

तो  ज्ञान की घटना जिनके जीवन में घटी, उनको दिखाई पड़ा कि ज्ञान की घटना अग्नि जैसी है। पहले अज्ञान जलेगा, फिर ज्ञान भी जलेगा और पीछे तो सिवाय राख के कुछ बचेगा नहीं। 

इन कारणों से अग्नि बड़ा ही समर्थ प्रतीक ज्ञान का बन गया और कृष्ण ज्ञान-यज्ञ शब्द का उपयोग कर सके। ये प्रतीक अगर हमारे खयाल में हो, तो ज्ञान-यज्ञ सदा जारी रहेगा। अग्नि के आस-पास बने दूसरे रिचुअल और यज्ञ तो खो जाएंगे, क्योंकि वे परिस्थिति से पैदा होते हैं, लेकिन ज्ञान-यज्ञ सदा जारी रहेगा।                         

 

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