भारत समेत 12 देशों का ऐलान,अफगान में बंदूक वाली सरकार को मान्यता नहीं देंगे
नई दिल्ली: भारत, अमेरिका और चीन समेत 12 देशों ने संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ यह फैसला किया है कि वे अफगानिस्तान में किसी भी ऐसी सरकार को मान्यता नहीं देंगे जो बंदूक की नोक पर नियंत्रण हासिल करना चाहती है. युद्धग्रस्त देश में तालिबान की ओर से हो रहे लगातार हमले के बीच अमेरिकी विदेश विभाग ने यह बात कही है.
भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, कतर, संयुक्त राष्ट्र, चीन, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जर्मनी, नॉर्वे, ताजिकिस्तान, तुर्की और तुर्कमेनिस्तान के प्रतिनिधि गुरुवार को एक क्षेत्रीय सम्मेलन में शामिल हुए जिसमें अफगानिस्तान में तेजी से खराब होती सुरक्षा स्थिति को नियंत्रित करने के तरीकों पर चर्चा की गई. सम्मेलन की मेजबानी कतर ने की थी.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, ‘प्रतिभागियों ने सबसे पहले और बेहद अहम चीज पर सहमति जताई है कि शांति प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है और वे इस बात पर भी सहमत हुए कि वे सैन्य बल के माध्यम से स्थापित किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देंगे.’
उनकी यह टिप्पणी तब आई जब तालिबान अफगानिस्तान में लगातार आगे बढ़ रहा है और प्रमुख प्रांतीय राजधानियों पर नियंत्रण कर लिया है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आतंकवादी समूह ने काबुल के बाद देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहरों और रणनीतिक प्रांतीय राजधानी हेरात तथा कंधार पर कब्जा कर लिया है. यह अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन की समाप्ति से कुछ हफ्ते पहले हुआ है. अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने कल गुरुवार को एक सुरक्षा अलर्ट जारी किया, जिसमें अमेरिकियों से ‘उपलब्ध कमर्शियल फ्लाइट्स विकल्पों का उपयोग करके तुरंत अफगानिस्तान छोड़ने’ का अनुरोध किया गया है.
नेड प्राइस ने कहा, ‘यह केवल संयुक्त राज्य अमेरिका ही नहीं है जो यह बात कह रहा है. और न सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी आवाज के साथ बोल रहा है. यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय है, और सभी इस पर सहमत है.’ उन्होंने कहा कि बहुत ही सरल बिंदु पर सर्वसम्मति है कि कोई भी ताकत जो बंदूक की नोक के जरिए अफगानिस्तान पर नियंत्रण करना चाहता है, उसे मान्यता नहीं दी जाएगी, वैधता नहीं होगी. किसी भी सरकार की स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरुरत होती है.
नई दिल्ली के अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्रालय (एमईए) में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिवीजन के संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने दोहा में बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. भारत ने गुरुवार को कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति चिंता का विषय है और वह उस देश में हिंसा को खत्म करने के लिए व्यापक युद्धविराम की उम्मीद कर रहा है.
विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह भी कहा कि भारत अफगानिस्तान में सभी हितधारकों के संपर्क में है और संघर्षग्रस्त देश में जमीनी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है.
दूसरी ओर, अमेरिकी सैन्य खुफिया के नए आकलन से पता चलता है कि काबुल 30 दिनों के भीतर विद्रोही गुट के अधीन आ सकता है और अगर यही मौजूदा रुझान जारी रहता है, तो तालिबान कुछ महीनों के भीतर पूरे देश पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर सकता है.