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साल की दूसरी तिमाही में ब्लू कॉलर नौकरियों में दर्ज हो सकती है तेज बढ़त: रिपोर्ट

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये लगायी गयी पाबंदियों में धीरे-धीरे दी जा रही ढील और आवाजाही बढ़ने के साथ इस साल की दूसरी छमाही में कल-कारखानों में काम करने वाले कामगारों की मांग यानि ब्लू कॉलर नौकरियों में बढ़त की उम्मीद है। मुख्य रूप से ऐसे कामगारों की मांग चार औद्योगिकृत राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में बढ़ने की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। मेहनतकश कामगारों यानी ‘ब्लू कॉलर’ नौकरियों के लिये प्रौद्योगिकी मंच बेटर प्लेस की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 की दूसरी छमाही में कल-कारखानों और दूसरे क्षेत्रों में मेहनत का काम करने वाले कामगारों के लिये 70 लाख नये रोजगार के अवसर सृजित होंगे। यह इस साल की पहली छमाही के मुकाबले 50 प्रतिशत अधिक है।

इस श्रेणी में रोजगार सृजित करने के मामले में महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक अग्रणी होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल रोजगार सृजन में महाराष्ट्र अगुवा होगा। कुल कामगारों की मांग में 17 प्रतिशत योगदान महाराष्ट्र का होगा। बेटरप्लेस के सीईओ प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से देश में रोजगार में भारी गिरावट देखी गई है। सबसे ज्यादा नुकसान ‘ब्लू-कॉलर’ यानी कल-कारखानों में काम करने वाले कामगारों को हुआ। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार नौकरियों पर कोविड ​​​​-19 महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव उतना गंभीर नहीं था, जितना कि पहली महामारी में था। कुल नौकरी की मांग में मामूली वृद्धि देखी गयी। रोजगार मांग जल्द ही कोविड-19 के पूर्वस्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।

अग्रवाल के अनुसार महामारी की दूसरी लहर में चालक और सुरक्षाकर्मी जैसे वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। अग्रवाल ने कहा कि दूसरी लहर में तिमाही दर तिमाही आधार पर चालक की नौकरियों में 40 प्रतिशत, सुविधा कामगारों के रोजगार 25 प्रतिशत और सुरक्षा कर्मियों के रोजगार में 40 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं माल पहुंचाने के काम में लगे विभिन्न कामगारों के वर्ग में तिमाही दर तिमाही आधार पर 175 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इनमें लाजिस्टिक्स, स्वास्थ्य सेवायें, ई- वाणिज्य और खुदरा क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। उनहोंने यह भी कहा कि यदि तीसरी लहर आती है तो परिवहन, विभिन्न सुविधायें देने वाले कामगार, सुरक्षा और खुदरा क्षेत्र में 25 से 50 प्रतिशत का नकारात्मक असर होगा वहीं डिलीवरी क्षेत्र में किसी तरह का प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं लगती है।

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