नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बी आर मणि ने सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के इस दावे को ‘कपोल कल्पना’ करार दिया कि कुतुब मीनार मूल रूप से एक ‘विष्णु स्तंभ’ था और आगाह किया कि परिसर में संरचनाओं के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ के परिणामस्वरूप 1993 में यूनेस्को द्वारा मिला विश्व धरोहर का दर्जा रद्द कर दिया जाएगा।
हालांकि, मणि ने कहा कि यह एक तथ्य है कि 27 हिंदू मंदिरों को उस जगह पर ध्वस्त कर दिया गया था और उनके अवशेषों का इस्तेमाल कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और कुतुब मीनार के निर्माण में भी किया गया था, लेकिन इन मंदिरों के पुनर्निर्माण की मांग ‘‘बेमानी” है। स्थल पर इन मंदिरों के स्थान का कोई निशान नहीं है।
विश्व हिंदू परिषद ने शनिवार को मांग की कि सरकार कुतुब मीनार परिसर में सभी 27 हिंदू मंदिरों का पुनर्निर्माण कराए और हिंदू अनुष्ठानों को फिर से शुरू करने की अनुमति दे। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने यह भी दावा किया कि 73 मीटर ऊंची कुतुब मीनार मूल रूप से एक हिंदू शासक के समय में निर्मित भगवान विष्णु के मंदिर पर एक ‘विष्णु स्तंभ’ था।
विहिप के दावे के बारे में पूछे जाने पर मणि ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं भी यह मानता हूं कि 27 मंदिर थे। इसके समर्थन में सबूत हैं। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है। लेकिन कोई नहीं जानता कि वे 27 मंदिर कहां स्थित थे, उनका स्वरूप क्या था, संरचना क्या थी।” तीन दशकों से अधिक समय से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जुड़े रहे मणि वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं जो पुरातत्व के बारे में सभी पहलुओं में ज्ञान को बढ़ावा देता है और उसका प्रसार करता है।
मणि ने कहा कि यह कुतुबुद्दीन ऐबक के शिलालेख पर लिखा है कि कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण स्थल पर ध्वस्त किए गए 27 मंदिरों के मलबे का उपयोग करके किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘मंदिरों के अवशेष पूरे स्थल पर फैले हुए हैं, लेकिन वहां कोई ऊंचाई वाला मंच, चबूतरा या कोई अन्य चीज नहीं मिली जो उन मंदिरों के स्थान का पता लगाने में मदद कर सके। अधिष्ठान (आधार मंच) जैसा कुछ मिलना चाहिए था।