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जानें साल की पहली सोमवती अमावस्या कब ? शुभ मुहूर्त में स्नान-दान से मिलेगा पुण्य

नई दिल्ली : सोमवती अमावस्या इस साल फाल्गुन माह की अमावस्या को पड़ रही है. जब भी अमावस्या सोमवार दिन को होती है तो वह सोमवती अमावस्या कहलाती है. इस साल की पहली सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को है. इस दिन तीर्थ में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान के ​बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान पुण्य किया जाता है. सोमवती अमावस्या को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं, उनके आशीर्वाद से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.

सोमवती अमावस्या 2023 मुहूर्त
फाल्गुन कृष्ण अमावस्या तिथि का शुभारंभ: 19 फरवरी, रविवार, शाम 04 बजकर 18 मिनट से

फाल्गुन कृष्ण अमावस्या तिथि का समापन: 20 फरवरी, सोमवार, दोपहर 12 बजकर 35 मिनट

परिघ योग: प्रात:काल से सुब​ह 11 बजकर 03 मिनट तक
शिव योग: सुब​ह 11 बजकर 03 मिनट से पूरे दिन

सोमवती अमावस्या स्नान दान मुहूर्त: सूर्योदय के समय से, सुबह 06:56 बजे से सुबह 08:20 बजे तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है.

सोमवती अमावस्या के दिन स्नान के करने से पाप मिटते हैं, पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन अपको गंगा समेत जो भी पवित्र नदियों हैं, उसमें स्नान करना चाहिए. उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करके अपने सामर्थ्य अनुसार अन्न, वस्त्र, फल, धन आदि का दान करना चाहिए. हिंदू धर्म में स्नान और दान से मोक्ष मार्ग की प्राप्ति की मान्यता है. दान देने से ग्रह दोष दूर होते हैं और सुख-शांति में वृद्धि होती है.

यदि आपके वंश की वृद्धि नहीं हो रही है, कार्यों में लगातार असफलता मिल रही है, बिजनेस या नौकरी दोनों में ही तरक्की नहीं हो पा रही है, परिवार में क्लेश रहता है तो आपको सोमवती अमावस्या के दिन सिर्फ एक काम करना होगा. आप इस दिन पितरों को प्रसन्न कर दें. पितर जब नाखुश होते हैं तो जीवन में इस प्रकार की समस्याएं आती हैं.

​सोमवती अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने का सबसे आसान तारीका है कि आप स्नान के बाद जल से पितरों को तर्पण दें. तर्पण के समय पितरों का ध्यान करके कहें कि हे पितर देव! आपको मैं जल से तृप्त कर रहा हूं, आप सभी प्रसन्न हों और सुखी जीवन का आशीर्वाद दें.

पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप पिंडदान, श्राद्ध, दान, ब्राह्मण भोज भी कर सकते हैं. पितृ स्तोत्र का पाठ करने से भी पितर खुश होते हैं. सोमवती अमावस्या को भोजन में से पितरों को अर्पित करने, कुत्ता, गाय, कौआ को भोजन देने से भी पितर खुश होते हैं. इनके माध्यम से पितरों को भोजन का अंश पहुंच जाता है.

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