सोमवती अमावस्या पर न करें 5 काम, पितर होते हैं नाराज, बढ़ता है पितृ दोष
नई दिल्ली : सोमवती अमावस्या 20 फरवरी सोमवार को है. इस दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन पितरों की पूजा की जाती है, ताकि वे प्रसन्न होकर सुखी जीवन का आशीर्वाद दें. पितर जब प्रसन्न होते हैं तो उसके वंश का जीवन खुशहाल होता है, वे दिन रात तरक्की करते हैं. परिवार में सुख और शांति का वास होता है. यदि पितर नाराज हो जाते हैं तो उनके वंश कष्टपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं.
घर में कलेश रहता है, नौकरी या बिजनेस में उन्नति नहीं होती है. पितर श्राप दे देते हैं, जिससे वंश की वृद्धि नहीं होती है. वह घर संतानहीन होता है. कार्यों में असफलता मिलती है. पितरों के नाराज होने पितृ दोष लगता है. ज्योतिष से जानते हैं कि सोमवती अमावस्या के दिन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए, ताकि पितर नाराज न हों और पितृ दोष न लगे.
सोमवती अमावस्या पर क्या न करें
- अमावस्या के दिन आप पितरों का अनादर न करें. अमावस्या स्नान के बाद पितरों को जल का तर्पण देना न भूलें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितर लोक में पानी की कमी होती है, इसलिए पानी से तर्पण दिया जाता है, इससे पितर प्रसन्न होते हैं.
- गाय, कौआ, कुत्ता आदि को दिए गए भोजन से पितरों को उसका अंश प्राप्त होता है. इस वजह से अमावस्या के दिन आप इन जीवों को कष्ट न पहुंचाएं. जो भी भोजन बनाएं, उसका एक हिस्सा इन जीवों को भी दे दें. वह अंश पितरों को प्राप्त होगा. वे प्रसन्न रहेंगे.
- अमावस्या के दिन पितर अपने वंश के द्वारा तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान आदि की प्रतीक्षा करते हैं. जब उनको वह प्राप्त नहीं होता है तो इससे वे दुखी होते हैं और श्राप दे देते हैं. ऐसा धार्मिक मान्यता है.
- अमावस्या के दिन आप मांस, मदिरा या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन न करें. इससे नकारात्मकता बढ़ती है. यह आपकी उन्नति में बाधक माने जाते हैं. सोमवती अमावस्या पुण्य प्राप्ति का अवसर है, उसका लाभ लेना चाहिए.
- इस दिन ब्रह्मचर्य के नियमों की अवहेलना न करें.
सोमवती अमावस्या 2023 मुहूर्त
फाल्गुन कृष्ण अमावस्या तिथि की शुरूआत: 19 फरवरी, शाम 04 बजकर 18 मिनट से
फाल्गुन कृष्ण अमावस्या तिथि की समाप्ति: 20 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर