निक्की हेली और विवेक रामास्वामी ने किया डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन, कार्रवाई को बताया बदले की राजनीति
वॉशिंगटन : एडल्ट स्टार को पैसों का भुगतान करने के मामले में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपराधिक मामला चलेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति पद की भारतीय मूल की उम्मीदवार निक्की हेली और विवेक रामास्वामी ने इसकी आलोचना की है और ट्रंप के खिलाफ कार्रवाई को बदले की राजनीति करार दिया है। निक्की हेली ने इसे देश के इतिहास का काला दिन करार दिया है। वहीं रामास्वामी ने कहा है कि इससे लोगों का देश की न्याय प्रणाली में भरोसा घटेगा।
बता दें कि मैनहेटन की एक ज्यूरी ने एडल्ट स्टार को पैसों का भुगतान करने के मामले में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने के पक्ष में मतदान किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जल्द ही इसका सार्वजनिक रूप से एलान कर दिया जाएगा। इस घटना पर निक्की हेली ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि ‘जितना उन्होंने इस मामले को देखा है, उसके मुताबिक यह राजनीति से प्रेरित है और मुझे लगता है कि यह बदले की राजनीति है ना कि न्याय के बारे में।’ बता दें कि निक्की हेली 2024 के लिए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का एलान कर चुकी हैं और उन्हें डोनाल्ड ट्रंप की चुनौती से पार पाना होगा।
डोनाल्ड ट्रंप भी साल 2024 के लिए राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी का एलान कर चुके हैं। ऐसे में उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलना, उनके लिए बड़ा झटका होगा। अमेरिका के इतिहास में ट्रंप पहले राष्ट्रपति होंगे, जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलेगा। राष्ट्रपति पद के एक और उम्मीदवार और भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी ने भी ट्रंप के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की आलोचना की है।
विवेक रामास्वामी ने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित मामला है, जिससे आम जनता का देश की चुनावी व्यवस्था और न्याय व्यवस्था पर भरोसा कम होगा। उन्होंने कहा कि हमारी पूरी व्यवस्था एक तरह से पतली बर्फ पर स्केटिंग कर रही है। न्याय व्यवस्था का राजनीतिकरण हम बर्दाश्त नहीं कर सकते वरना हम ऐसी स्थिति में पहुंच जाएंगे, जहां पूरी व्यवस्था ढह जाएगी। रामास्वामी ने कहा कि सभी पार्टियां इस खतरनाक राजनीतिक उत्पीड़न का विरोध करेंगी।
कंजरवेटिव पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के चेयरमेन मैट स्कलैप ने भी ट्रंप के खिलाफ कार्रवाई की आलोचना की है और इसे सत्ता का दुरुपयोग करार दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी लोगों का सरकारी संस्थाओं में विश्वास खत्म हो चुका है और यह मामला संवैधानिक नियमों का खुला उल्लंघन है।