पहले वर्षों तक लटका रहता था गन्ने का भुगतान, आज एक हफ्ते में हो रहा : CM योगी
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि छह वर्ष पहले प्रदेश के गन्ना किसानों को पर्ची के लिए परेशान होना पड़ता था। उनकी पर्ची की चोरी के साथ गन्ने की तौलाई में घटतौली होती थी। ऐसे में वह आंदोलन करने को मजबूर होते थे। साथ ही चीनी मिल के असमय बंद होने से किसानों को परेशान होना पड़ता था। इतना ही नहीं बरसों तक गन्ना किसानों को बकाया गन्ने का भुगतान नहीं होता था। वहीं वर्ष 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही वर्ष 2010 से लेकर 2017 के बीच बकाया गन्ना का भुगतान करने के लिए मिशन मोड पर काम शुरू किया गया। इस पर चीनी मिल मालिकों ने समय से किसानों को बकाया भुगतान करने के लिए इथेनॉल बनाने की परमिशन मांगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लोकभवन में आयोजित गन्ना विकास के तहत राज्य गन्ना उत्पादन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र वितरण एवं प्रदेश की 25 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के नवनिर्मित भवनों के लोकार्पण के दौरान कहीं। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति पर आज प्रदेश में चीनी मिलें चीनी के साथ इथेनॉल भी बनाने का काम कर रहीं हैं। आज उसी का परिणाम है कि पूरे देश में उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन में नंबर वन होने के साथ ही इथेनॉल, चीनी उत्पादन, खांडसारी यूनिट्स में भी नंबर वन है।
सीएम योगी ने कहा कि आज के कार्यक्रम में प्रदेश में एक हेक्टेयर में 2640 कुंतल गन्ने की पैदावार करने वाले किसान मौजूद हैं, जिसे पहले असंभव माना जाता था। वहीं हमारे अन्नदाता किसानों ने अपने सामथ्र्य और परिश्रम से यह साबित करके दिखाया है। प्रदेश में 3171 सहकारी महिला स्वयंसेवी समूह हैं, जिसमें 59000 से अधिक महिलाएं कार्य कर रही हैं। वह आज 60 लाख गन्ना किसानों के साथ मिलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के भवन खाद और गोदाम के लिए भी उपयोगी साबित हो सकते हैं। इस दिशा में प्रयास करने होंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम में 25 नये भवनों को लोकार्पण संपन्न हुआ है। वर्ष 2007 से 2017 के बीच गन्ना मूल्य का भुगतान एक लाख करोड़ के आसपास हुआ था, वहीं वर्ष 2017 से लेकर 2023 के बीच 2,13400 करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे गन्ना किसानों के खातों में भेजा गया है।
इतना ही नहीं खांडसारी में जो 500 टन अतिरिक्त गन्ना पेराई हुई है उसका नकद भुगतान किया गया है। इसके साथ ही एथेनॉल का अलग से भुगतान किया जा रहा है। प्रदेश में 100 चीनी मिलें ऐसी हैं जो एक हफ्ते से दस दिन के अंदर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कर रही हैं। धीरे-धीरे करके सभी 118 चीनी मिलें इसे अपनाएंगी। गन्ना विभाग ने प्रदेश में बंद 4 चीनी मिलों को दोबारा शुरू किया है। साथ ही 2 नई चीनी मिलें स्थापित की गई हैं। सीएम ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को किसानों को किसानों को मसीहा कहा जाता था। उन्होंने 1980 के दशक में छपरौली की चीनी मिल के पुनरुद्धार की बात की थी, लेकिन सरकारें आती-जाती रहीं, किसानों के बारे में किसी ने नहीं सोचा। हमारी सरकार ने छपरौली में नई चीनी मिल की स्थापना का कार्य किया है।
सीएम योगी ने कहा कि पहले की सरकारें गन्ना किसानों पर गोलियां चलवाती थी, वहीं आज हमारी सरकार नई चीनी मिलों की स्थापना कर रही है, जो पूरी क्षमता से काम कर रही हैं। वह किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने के साथ उनके विकास का प्रतीक बनी हैं। विभाग ने टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके किसानों को पर्ची से मुक्ति दिलायी है। पिछले 6 वर्षों में डबल इंजन की सरकार ने लगभग 23,00000 हेक्टेयर लैंड को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसी का नतीजा है कि 45 से 60 लाख गन्ना किसान चीनी मिलों को गन्ना पहुंचा रहे हैं, जो यह दशार्ता है कि प्रदेश में गन्ना खेती का दायरा पहले से काफी बढ़ा है।
कार्यक्रम में सीएम योगी ने प्राकृतिक खेती पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से धरती माता की सेहत और गन्ना किसानों को हित दोनों सुरक्षित रहेगा। साथ ही गौमाता की रक्षा भी होगी। किसानों को प्राकृतिक खेती को धीरे-धीरे आगे बढ़ाना होगा। पूरे देश में उत्तर प्रदेश की एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां कोरोना में लॉकडाउन के दौरान चीनी मिलें चलती रहीं। गन्ना किसानों को एक भी गन्ना नहीं जलाना पड़ा। वहीं कोरोना काल में सैनिटाइजर की किल्लत हुई तो चीनी मिलों ने कमान संभाली और प्रदेश के हर हॉस्पिटल, नगर निकाय, ग्राम पंचायत को फ्री में सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया। यही नहीं प्रदेश के 27 राज्यों में भी उत्तर प्रदेश से सैनिटाइजर भेजा गया। सहकारी महिला स्वयंसेवी समूह, चीनी मिल मालिकों, गन्ना किसानों का उत्तर प्रदेश की प्रगति में एक बड़ा योगदान है।