सियासी समीकरणों तक पहुंच रही पहलवान आंदोलन की आंच, राजस्थान में भाजपा को हो सकता है नुकसान
राजस्थान: भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ पहलवानों के आंदोलन की आंच सियायी समीकरणों तक पहुंचने लगी है। खासकर खाप पंचायतों व किसान नेताओं के मोर्चे पर आने से यह मुद्दा भाजपा (BJP) की भावी राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है। चूंकि राजस्थान के चुनाव को अब मात्र चार माह बचे हैं ऐसे में भाजपा की कोशिश इस मामले को जल्द ठंडा करने की है। राजस्थान में जाट समुदाय का असर लगभग 75 सीटों पर है।
पिछले काफी समय से जाट समुदाय का समर्थन भाजपा के पक्ष में रहा है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां भाजपा अभी भी काफी मजबूत है। इसके आलावा हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान में भी इस समुदाय का समर्थन मिलता रहा है। ब्रजभूषण शरण सिंह का मामला वैसे तो खेल संघ से जुड़ा मामला है, लेकिन यौन शौषण व ओलंपियन महिला पहलवानों के आरोपों के बाद इससे जो माहौल बन रहा है उसमें महिला विरोधी रुख भी उभर रहा है। हालांकि सरकार ने पहलवानों से बात कर जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया है।
राजनीतिक दृष्टि से यह मामला जातिगत व सामाजिक समीकरणों को प्रभावित कर रहा है। इसलिए भाजपा के एक खेमे में चिंता भी है। इस समय जबकि हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जजपा से खटपट भी चल रही है और राजस्थान के चुनाव भी सिर पर हैं। ऐसे में इस मामले के लंबे खिंचने से उसे नुकसान भी हो सकता है। खतरा इस बात का भी है कि कहीं महिला पहलवानों के समर्थन में जाट समुदाय लामबंद न हो जाए। वैसे भी खाप पंचायतों में यह मामला उठने लगा है और किसान नेता भी मुखर हो रहे हैं। महिला सम्मान का मुद्दा भी जोर पकड़ सकता है, जिसका लाभ विपक्ष को मिल सकता है।
जाट समुदाय से जिन क्षेत्रों की राजनीति प्रभावित होती है उनमें हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान का एक हिस्सा, दिल्ली व पंजाब शामिल है। इन राज्यों की लगभग 40 लोकसभा व 130 विधानसभा सीटों पर जाट मतदाता असर डालते हैं। राजस्थान में लगभग 15 फीसद जाट मतदाता 75 सीटों पर प्रभावी हैं। राज्य के शेखावटी क्षेत्र में 25 से 35 फीसद जाट हैं। राजस्थान में जाट प्रभाव वाली 15 लोकसभा सीटों में भाजपा के पास 14 व एक उसकी पूर्व सहयोगी आरएलपी के पास है। राज्य में बीते विधानसभा चुनाव में जिन 75 सीटों पर जाट मतदाता 15 फीसद से ज्यादा है उनमें से भाजपा ने 20 सीटें 35.5 फीसद वोटों के साथ जीती थी, जबकि कांग्रेस को 37 फीसद वोट के साथ 41 सीटें मिली थी। बाकी अन्य के हिस्से में गई थी।