अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए भाजपा निकालेगी ‘पसमांदा स्नेह यात्रा’
लखनऊ : आगामी लोकसभा चुनाव में 80 सीट जीतने के लिए भाजपा हर तरह के प्रयास में जुटी है। पार्टी पसमांदा मुसलमानों को रिझाने में लगी हुई है। इसके लिए पार्टी 27 जुलाई से ‘पसमांदा स्नेह यात्रा’ शुरू करेगी। यह यात्रा गाजियाबाद से शुरू होकर यूपी के सभी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जाएगी।
भाजपा सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री और अल्पसंख्यक मोर्चे के महामंत्री दानिश आजाद ने बताया कि 27 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि के मौके पर ‘पसमांदा स्नेह यात्रा’ यात्रा को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हरी झंडी दिखाएंगे। इसके बाद यह यात्रा यूपी में पूरब से लेकर पश्चिम इलाके में घूमेगी।
उन्होंने बताया कि यात्रा की शुरुआत असल में एक अगस्त से होगी। दो अगस्त को यात्रा बुलंदशर, हापुड़, मेरठ सहारनपुर, तीन को बिजनौर चार को अमोरहा, 5 अगस्त को अमोरोहा, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर,रामपुर, 6 अगस्त को सीतपुर, लखनऊ, 7 अगस्त को बाराबंकी, बहराइच गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, 8 अगस्त को अयोध्या, अमेठी सुल्तानपुर और प्रयागराज जायेगी। 9 अगस्त को भदोही, जौनपुर, 10 अगस्त को आजमगढ़, देवरिया गोरखपुर में यात्रा का पहला चरण खत्म हो जाएगा।
इसके बाद अगला चरण बिहार से शुरू होगा। इसके लिए 42 लोगों की एक टीम है। इस यात्रा का मकसद पासमाडा समाज के बीच में जाकर उन्हें केंद्र और राज्य की अच्छी योजनाओं के बारे में बताना है। जिस प्रकार से नगर निकाय और विधानसभा में इनका समर्थन मिला है, उसके लिए शुक्रिया अदा करना है।
ज्ञात हो कि भाजपा की पसमांदा मुसलमानों को रिझाने की कोशिश बहुत दिनो से चल रही है। पसमांदा मुसलमान जैसे जुलाहे, धुनिया, घासी, क़साई, तेली और धोबी वग़ैरह, जिन्हें देश में निचली जातियों में गिना जाता है, लंबे समय से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़ोकस में रहे हैं। पार्टी की पिछली दो कार्यकारिणियों, 2022 में हैदराबाद में हुई बैठक और जनवरी 2023 में दिल्ली में हुई बैठक में ख़ास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी ने पसमांदा मुसलमानों का ज़िक्र किया था।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा मुस्लिम समुदाय के उस वर्ग पर फोकस करने की कोशिश कर रही है जो आमतौर पर विपक्षी दलों का वोट बैंक है। भाजपा ने यूपी में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद पसमांदा मुसलमान दानिश अंसारी को जगह देकर इसके संकेत भी दिए। यही नहीं, इसके बाद, मोदी कैबिनेट के बड़े मुस्लिम चेहरे मंत्रिमंडल से गायब हो गए और उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा गया।
गौरतलब है कि यूपी के विधानसभा चुनाव में एक सामाजिक प्रयोग के तौर जिस तरह से भाजपा ने गैर-यादव पिछड़ा और गैर जाटव दलितों के बीच घुसपैठ की थी उसी के तहत एक कोशिश यहां भी करती दिख रही है।