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चारधाम और कैलाश-मानसोरोवर मार्ग को जोड़ने वाले 825 KM लंबे रोड का निर्माण शुरू, हर मौसम में होगी आवाजाही

नईदिल्ली : हर वर्ष चारधाम की यात्रा करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में पहाड़ों और दुर्गम स्थानों के बीच होने वाली यह यात्रा बेहद कठिन मानी जाती है. इन दुर्गम इलाकों में खराब मौसम की वजह से अक्सर यात्रा रूक जाती है. ऐसे में तीर्थयात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

हालांकि, अब तीर्थयात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने और पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, सड़क और परिवहन मंत्रालय ने चारधाम और कैलाश-मानसोरोवर मार्ग के एक खंड को जोड़ने वाले 825 किलोमीटर लंबे रोड नेटवर्क का निर्माण शुरू किया है. खास बात है कि इस सड़क पर सभी मौसम में आवाजाही बनी रहेगी.

सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, उत्तराखंड राज्य में चारधाम – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाले 5 राष्ट्रीय राजमार्गों का सुधार किया जा रहा है, जिसमें टनकपुर से कैलाश-मानसरोवर यात्रा का कुल 825 किमी लंबा खंड शामिल है. मंत्रालय का कहना है कि वर्तमान में लगभग 610 किमी सड़क निर्माण पूरा हो चुका है.

दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर की कुल लंबाई लगभग 213 किमी है, जिसे लगभग 6,392 करोड़ रुपये की लागत से आवंटित किया गया था और इसकी वर्तमान प्रगति 30.7 प्रतिशत है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास पर लगभग 3,520 करोड़ रुपये का खर्च किया गया है.

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश में है. ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए यह दिल्ली से 12-लेन का हाइवे होगा और आगे बढ़ते हुए एक्सप्रेसवे को 6 लेन का कर दिया जाएगा. दिल्ली में 14 किलोमीटर सेक्शन और गाजियाबाद में 12 किलोमीटर सेक्शन में 12 लेन में होंगे.

बता दें की चारधाम यात्रा हर वर्ष अप्रैल में शुरू होती है और नवंबर तक चलती है. इसके बाद सर्दी का मौसम शुरू होने पर कपाट बंद हो जाते हैं. हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली चारधाम परंपरागत रूप से पश्चिम दिशा से पूर्व की ओर की जाती है. यह यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है. इसके बाद गंगोत्री, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ पर जाकर संपन्न होती है.

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