आज भारत में भी दिखेगा चंद्रग्रहण, देशभर में मंदिर होंगे बंद, जानें मोक्षकाल का समय
नई दिल्ली : इस चंद्रग्रहण का स्पर्श 28 अक्टूबर आज शनिवार की रात में 1 बजकर 25 मिनट पर होगा। मध्य रात में 1 बजकर 44 मिनट पर होगा तथा इसका मोक्ष रात्रि 02 बजकर 24 मिनट पर होगा, सूतक 28 अक्टूबर को शाम 4 बजे से लग जाएंगे और ग्रहण समाप्त होने पर खत्म होंगे। 28 और 29 अक्टूबर की रात को पृथ्वी की छाया चंद्रमा के एक हिस्से को ढक लेगी। अधिकतम आंशिक ग्रहण1:44 तड़के होगा। चंद्रमा का 6% हिस्सा ग्रसित होगा। यह चंद्रग्रहण अश्विनी नक्षत्र, मेष राशि पर खंडग्रास चंद्रग्रहण लगेगा। भारत सहित विश्व के कई देशों में यह चंद्र ग्रहण लगेगा, इनमें भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, हिन्द महासागर के अधिकांश भागों से दिखाई देगा।
भारत में भी यह दिल्ली, पटना, मुंबई, कोलकाता, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि कई राज्यों और शहरों में दिखाई देगा। ग्रहण का समय पूरे भारत मे समान होने तथा भारत भूमि पर स्पष्ट रूप से दृश्य होने के कारण धार्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। कर्क, मिथुन, वृश्चिक, धनु एवं कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह ग्रहण शुभ फल देनेवाला है। सिंह, तुला व मीन राशि के लिए मध्यम फल एवं मेष, वृष, कन्या व मकर राशि वालों के लिए यह ग्रहण अशुभ फल देगा। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि आकाश से अमृत वर्षा होती है। खंड ग्रास के कारण इस बार शरद पूर्णिमा प्रभावित रहेगी।
चंद्र ग्रहण का स्पर्श काल -29 अक्टूबर रात 01:05 बजे
चंद्र ग्रहण का मोक्षकाल – 29 अअक्टूबर रात 02:05 बजे
सूतक काल 28 अक्टूबर की शाम से 4 बजे से लग जाएगा और ग्रहण खत्म होने के बाद ही समाप्त होगा।
चंद्र ग्रहण किस राशि के लिए शुभ, किसके लिए अशुभ
खंडग्रास चंद्रग्रहण 12 में सिर्फ चार राशियों के लिए ही लाभकारी माना जा रहा है। शेष आठ राशि के जातकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का नियम
शरद पूर्णिमा के दिन इस बार लोग खीर का भोग नहीं लगा पाएंगे। शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा से अमृत वर्षा होती है। इसलिए चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण होने के कारण यह नहीं कर सकेंगे। 28 तारीख को शाम 4 बजे से सूतक शुरू हो जाएगा। सूतक के समय मंदिर बंद रहते हैं और पूजा-पाठ वर्जित माना गया है। चन्द्रग्रहण के कारण से इस बार शरद पूर्णिमा को रात में अमृत वर्षा के दौरान खीर नहीं रखी जा सकेगी। चन्द्रग्रहण समाप्त होने के बाद खीर बनाकर रखा जा सकता है। सुबह उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
शरद पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर की सुबह 4.17 पर लगेगी जो 28 अक्टूबर की देर रात 1.53 तक रहेगी। 28 अक्टूबर को भारत में ग्रहण की शुरुआत मध्य रात्रि 1.05 बजे से होगी और 2.24 बजे तक ग्रहण रहेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक, ग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले से शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने के साथ सूतक खत्म होता है। सूतक शाम में 4.05 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा।
चंद्र ग्रहण पर ग्रहों की स्थिति उत्तम है। चंद्रमा मेष राशि में, राहु और बृहस्पति के साथ होंगे और केतु के साथ सूर्य, बुध, मंगल रहेंगे। अतः चंद्रमा एवं सूर्य से प्रभावित होने वाले जातकों को विशेष तौर पर सावधानी बरतनी होगी। मेष, वृष, कर्क ,कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और मीन वालो के लिए ग्रहण थोड़ा कठिन समय वाला होगा। इसके अलावा सिंह, मिछुन, धनु, कुंभ राशि के लोगों के लिए ग्रहण आर्थिक स्थिति को बलवान करेगा और लाभ कराएगा।
खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय वर्जित हैं। सूतक आरंभ होने से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा तृण डाल देना चाहिए जिससे ये खाद्य पदार्थ ग्रहण से दूषित नहीं होगें। अगर कुशा नहीं है तो तुलसी का पत्ता भी डाल सकते हैं।
खगोलिय दृष्टि से देखा जाए तो पृथ्वी जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में होता है। और इससे सूर्य का प्रकाश रोक लिया जाता है। चंद्रमा पर नहीं पड़ता है। परिणाम स्वरूप चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ जाती है । यही चंद्र ग्रहण की स्थिति होती है । इस प्रकार देखा जाए तो चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है और इसके कारण दोनों ग्रहों का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है।
खण्ड ग्रास चन्द्र ग्रहण के सूतक काल में दान और जप आदि का महत्व माना गया है। पवित्र नदियों अथवा सरोवरों में स्नान किया जाता है । मंत्रो का जाप किये जाने से शीघ्र लाभ प्राप्त होता है तथा इस समय में मंत्र सिद्धि भी की जाती है। तीर्थ स्नान, हवन तथा ध्यानादि शुभ काम इस समय में किए जाने पर शुभ तथा कल्याणकारी सिद्ध होते हैं।
अग्नि तत्व राशि मेष में चन्द्र राहु की युति एवं पृथ्वी तत्व राशि कन्या में केतु के साथ सूर्य, मंगल, बुध के होने से अग्नि एवं पृथ्वी का संयुक्त प्रभाव देखने को मिलेगा ।परिणाम स्वरूप तीव्र गति से वायु या चक्रवात का चलना । तीव्र गति से चलने वाले वाहनों की क्षति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पृथ्वी में हलचल की स्थिति दिखाई दे सकती है जैसे भूकंप की बड़ी दुर्घटना भूस्खलन एवं आग से बड़ी क्षति भी इस अवधि में दिखाई दे सकता है।