अमेरिका ने बनाई परमाणु प्रलय लाने वाली नई मिसाइल ‘द सेंटिनल’, हिरोशिमा से 20 गुना शक्तिशाली
वॉशिंगटन : चीन, रूस और उत्तर कोरिया के बढ़ते मिसाइल खतरे के बीच अमेरिका ने 100 अरब डॉलर की लागत से ‘द सेंटिनल’ मिसाइल का निर्माण किया है। यह नई मिसाइल हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 20 गुना शक्तिशाली एटम बम को ले जा सकती है। यह नई मिसाइल अमेरिका के परमाणु जखीरे में सबसे नई और आधुनिक मिसाइल है। बताया जा रहा है कि यह मिसाइल हाइपरसोनिक है और अभी भी इसका विकास जारी है। अभी तक अमेरिका हाइपर सोनिक मिसाइलों के मामले में बहुत पीछे चल रहा था। वहीं चीन, रूस, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देश लगातार हाइपरसोनिक मिसाइलों से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को डराने में जुटे हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक द सेंटिनल मिसाइल जब पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगी तब यह मिनटमैन 3 परमाणु मिसाइल की जगह लेगी जो अभी उत्तर डकोटा, व्योमिंग, मोंटाना और नेब्रास्का में तैनात की जानी हैं। ये मिसाइलें साल 2029 से 2075 तक सेवा में रहेंगी। LGM-35 सेंटिनल जमीन आधारित परमाणु प्रतिरोधक मिसाइल है जो धरती के किसी भी हिस्से को पलभर में तबाह करने की महाविनाशक ताकत रखती है। इस मिसाइल को बनाने का ठेका नॉर्थरोप ग्रुम्मन ग्रुप ने जीता था। इस मिसाइल को अमेरिकी वायुसेना को सौंपा जाएगा।
अमेरिकी वायुसेना के मुताबिक एल का मतलब इसे साइलो से लॉन्च किया जा सकता है। जी का मतलब है कि इसे सतह पर हमला करने के लिए बनाया गया है और एम का मतलब यह गाइडेड मिसाइल है। अमेरिकी वायुसेना ने सबसे पहले साल 2016 में अगली पीढ़ी के परमाणु मिसाइल को बनाने का अनुरोध किया था। द मिनटमैन 3 मिसाइल को सबसे पहले साल 1970 में तैनात किया गया था। यही वजह थी कि उसकी जगह एक नई पीढ़ी की मिसाइल की जरूरत थी। इस नई मिसाइल को अब अगले 10 साल के अंदर शामिल किया जाएगा।
माना जा रहा है कि इन मिसाइलों के 50 साल के जीवन काल के दौरान 264 अरब डॉलर का खर्च आएगा। द सेंटिनल मिसाइल साल 2029 में सेवा में जाएगी और साल 2075 तक बनी रहेगी। यह सेंटिनल मिसाइल W87 Mod 1 थर्मोन्यूक्लियर वारहेड लेकर जाएगी जो W78 परमाणु वारहेड की जगह लेंगे। W78 को अभी मिनटमैन 3 मिसाइल में इस्तेमाल किया जाता है। इस नई मिसाइल का परीक्षण हिल एयर फोर्स बेस पर किया जाएगा जो यूटा राज्य में है। इस मिसाइल को प्रशांत महासागर में टेस्ट किया जाएगा। अमेरिका ने यह नई मिसाइल ऐसे समय पर बनाई है जब चीन बहुत बड़े पैमाने पर हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहा है। वहीं रूस अभी भी अमेरिका के लिए खतरा बना हुआ है।