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यूपी में पेपर लीक किया तो होगा आजीवन कारावास

दस्तक ब्यूरो

पहले पुलिस भर्ती फिर आरओ-एआरओ परीक्षा लीक मामले को लेकर विपक्ष के व्यंग्यबाण सह रही यूपी की योगी सरकार ने अब कड़ा कदम उठाया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों और पेपर लीक की रोकथाम के लिए अध्यादेश लाने का फैसला कर लिया है। इस अध्यादेश के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सजा के कड़े प्रावधान सम्मिलित किए गए हैं, जिनमें दो साल से लेकर आजीवन कारावास तक का दंड और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने को शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार पहले भी पेपर लीक जैसे मामलों पर कड़े कदम उठा चुकी है और अब इस अध्यादेश को इसी क्रम में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है। राज्य मंत्रिपरिषद ने सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों और पेपर लीक रोकथाम अध्यादेश 2024 को लाने का निर्णय लिया। इसके तहत यदि कोई संस्था या उससे जुड़े लोग पकड़े जाएंगे तो उन्हें दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

अध्यादेश के तहत लोकसेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण या निकाय या उनके द्वारा नामित संस्था भी इसमें सम्मिलित हैं। यह अध्यादेश किसी प्रकार की भर्ती परीक्षाओं, नियमितीकरण या पदोन्नती करने वाली परीक्षाएं, डिग्री-डिप्लोमा, प्रमाण पत्रों या शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं पर भी लागू होगा। इसके अंतर्गत फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि दंडनीय अपराध बनाए गए हैं। अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन पर अध्यादेश के अंतर्गत दोषियों को दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा, जबकि एक करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को सॉल्वर गिरोह से वसूलने तथा परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली संस्था तथा सेवा प्रदाताओं को सदैव के लिए ब्लैक लिस्ट करने का भी प्रावधान किया गया है। अधिनियम में अपराध की दशा में संपत्ति की कुर्की भी प्रावधानित की गई है। इसके तहत समस्त अपराध संज्ञेय, गैरजमानती एवं सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय एवं अशमनीय बनाए गए हैं। जमानत के संबंध में भी कठोर प्रावधान किए गए हैं। वर्तमान में विधानसभा का सत्र न होने के कारण बिल के स्थान पर अध्यादेश का प्रस्ताव किया गया है। मंत्रिपरिषद के द्वारा प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद अध्यादेश की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा और इसके बाद इसे लागू किया जाएगा।

उत्तराखंड में पहले से लागू है पेपरलीक पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान

उत्तराखंड में यूपी से पहले देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू हो चुका है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीर्त सिंह ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को पहले ही मंजूरी दे दी थी। अब भर्ती परीक्षा में पेपर लीक, नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर उम्रकैद की सजा मिलेगी। साथ में 10 करोड़ तक का जुर्माना भी देना पड़ेगा और गैर जमानती अपराध में दोषियों की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी का सिलसिला जारी रहने से युवाओं को आश्वस्त करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर्र ंसह धामी ने नकल विरोधी अध्यादेश की व्यवस्था की थी, जिस पर मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि अब होने वाली भर्ती परीक्षाएं इसी अध्यादेश के अंतर्गत होंगी। अध्यादेश में संगठित होकर नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने वाले मामलों में आजीवन कैद की सजा और 10 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही आरोपियों की संपत्ति भी जब्त करने की व्यवस्था इसमें की गई है। हालांकि इस नकल विरोधी कानून पर सियासत भी खूब हुई। भाजपा जहां तारीफ कर रही है तो वहीं कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़े किए थे। कैबिनेट मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल का कहना है कि जो वादा युवाओं से सरकार ने किया था वो पूरा हो चुका है। सरकार की मंशा साफ है कि युवाओं को पारदर्शी परीक्षाओं का माहौल दिया जाएगा ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके।

अध्यादेश के तहत यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षड्यंत्र करता है, तो आजीवन कारावास तक की सजा और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया। यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में खुद नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए पाया जाता है तो उसके लिए तीन साल का जेल और न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया। यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में दोषी पाया जाता है, तो न्यूनतम दस साल के कारावास और न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया। यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तारीख से दो से पांच साल के लिए डिबार करने का प्रावधान किया गया। दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस साल के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया। अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित संपत्ति की कुर्की की जाएगी। इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और अशमनीय होगा।

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