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मां व शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए लैंगिक समानता जरूरी : सीएमओ

जेंडर इंटीग्रेशन पर पीएसआई इंडिया के सहयोग से संवेदीकरण कार्यशाला
परिवार नियोजन : पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने में भी लैंगिक समानता मददगार

मेरठ : मां और शिशु को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने, मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, युवाओं व किशोरियों की चुनौतियों के समाधान के साथ ही परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने के लिए लैंगिक समानता बहुत जरूरी है। इस तरह लैंगिक आधारित भेदभाव को दूर कर स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण किया जा सकता है। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक कटारिया ने पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) के सहयोग से आयोजित शहरी स्वास्थ्य समन्वय समिति की संवेदीकरण कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहीं।

लैंगिक समानता पर संवेदीकरण को लेकर आयोजित कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही शिक्षा, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, आईसीडीएस, डूडा, नगर निगम विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में स्वास्थ्य सम्बन्धी गतिविधियों और सेवाओं में लैंगिक समानता आधारित व्यवहार सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिभागियों को संवेदीकृत किया गया। इस मौके पर पीएसआई इंडिया की कार्यक्रम प्रबन्धक कोमल और महाप्रबंधक जेंडर मेनस्ट्रीमिंग इफत हामिद ने जेंडर इंटीग्रेशन पर विस्तार से प्रकाश डाला। लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने और सभी को मुख्य धारा से जोड़ने के फायदे के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित होने वाली गतिविधियों और कार्यक्रमों में भी लैंगिक समानता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इससे हर किसी को योजनाओं के प्रति जागरूकता आएगी और वह उसका लाभ भी उठा सकेंगे। पुरुषों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के कारणों और चुनौतियों पर भी चर्चा हुई और बताया गया कि लैंगिक समानता के आधार पर इसमें भी कमी लायी जा सकती है।

कार्यशाला में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. सुधीर ने जोर दिया कि समाज के कल्याण के लिए काम करने वाले हर विभाग में जेंडर इंटीग्रेशन को शामिल किया जाना चाहिए। समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रत्येक विभाग से जेंडर चैंपियन की पहचान करनी चाहिए। इसके अलावा विभागवार कार्य योजना तैयार करने तथा अन्य हितधारकों को सूचित करने के लिए संबोधित किया, ताकि वह भी भाग ले सकें तथा अपने विभाग के कार्यक्रम को दूसरों के साथ साझा कर सकें। डीसीपीएम हरपाल सिंह ने इस पहल की सराहना की और सुझाव दिया कि सभी शहरी तथा ब्लॉक स्तर की सुविधाओं पर इस तरह की संवेदीकरण की योजना बनाई जाएगी तथा कर्मचारियों को भी संवेदीकृत किया जाएगा। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरपाल निगम ने खासकर महिला कर्मचारियों के लिए भी इस तरह की कार्यशाला की योजना बनाने और उन्हें मुख्यधारा में लाने और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में संवेदीकृत करने पर जोर दिया।

कार्यशाला में प्रतिभागियों के बीच कुछ समूह गतिविधियाँ भी कराई गयीं, जिससे लैंगिक समानता की चुनौतियों और समाधान पर खुलकर चर्चा हुई। कार्यशाला के दौरान शहरी स्वास्थ्य समन्वयक राजीव त्यागी ने साझा किया कि सभी विभागों के सहयोग से हम बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं तथा स्वास्थ्य विभाग के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। कार्यशाला में यूनिसेफ, यूपीटीएसयू और जेएसआई के प्रतिनिधि के आलावा जिला कार्यक्रम प्रबन्धक मनीष बिसारिया, सीसीपीएम विनोद कुमार, मातृ परामर्शदाता इल्मा, डिविजनल एफपीएलएमआईएस मैनेजर अखिलेश सिंह, एफपीएलएमआईएस मैनेजर हुसैन अहमद, सीएमओ कार्यालय के कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।

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