बहरोड़ : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के पशुपालकों के अमूल्य पशुधन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए “मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना” की शुरुआत की गई है। इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य पशुपालकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना और उनके पशुधन की मृत्यु की स्थिति में आर्थिक नुकसान से बचाना है। योजना के तहत लाभ लेने के लिए प्रदेश के सभी जनाधार कार्ड धारक पशुपालक पात्र होंगे। पशुपालकों को बीमा विभाग के एप/सॉफ्टवेयर पर आवेदन करना होगा। मोबाईल ऐप/वेबपोर्टल पर आवेदन की दिनांक बढ़ा कर अब 31 जनवरी कर दी गई है।
बीमा के लिए लॉटरी द्वारा पशुपालकों का चयन किया जाएगा। प्रदेश के गोपाल क्रेडिट कार्ड धारक पशुपालक और लखपति दीदी पशुपालकों को चयन में प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए क्रमशः 16 और 12 प्रतिशत आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है। बीमा के लिए पशुओं की टैगिंग अनिवार्य है। चयनित पशुपालक के अधिकतम 2 दुधारू पशु (गाय, भैंस अथवा दोनो)/ 10 बकरी / 10 भेइ / 1 उष्ट्र वंश पशु का निःशुल्क बीमा किया जाएगा। यह बीमा उन्हीं पशुओं का होगा जो किसी अन्य योजना के तहत बीमित नहीं हो। यह बीमा एक वर्ष के लिए किया जाएगा और पशुपालक को इसके लिए कोई प्रीमियम नहीं देना होगा। बीमा राशि का निर्धारण पशु की नस्ल, उम्र व दुग्ध उत्पादन क्षमता के आधार किया जायेगा लेकिन किसी भी स्थिति में बीमा की अधिकतम राशि 40 हजार रुपये से अधिक नहीं होगी। पशुओं के बीमा के लिए निर्धारित उम्र अनुसार गाय की उम्र 3 से 12 वर्ष और भैंस की 4 से 12 वर्ष होनी चाहिए।
इसी प्रकार बकरी और भेड़ की उम्र 1 से 6 वर्ष जबकि ऊंट की उम्र 2 से 15 वर्ष होनी चाहिए। योजना का क्रियान्वयन ट्रस्ट मोड पर राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग द्वारा किया जाएगा जबकि पशुपालन विभाग नोडल विभाग होगा। राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (साधारण बीमा) विभाग चयनित पशुपालकों के पशुओं का बीमा कराने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत / राजस्व ग्राम हेतु तिथिवार कार्यक्रम निर्धारित करेगा जिसकी सूचना पशुपालकों को एसएमएस या अन्य माध्यम से दी जायेगी। समस्त बीमा प्रक्रिया उपरान्त पशुपालक को मोबाईल पर एसएमएस के माध्यम से बीमा पॉलिसी का लिंक प्राप्त होगा।
यदि बीमित पशु का टैग किसी कारणवश गुम हो जाता है तो उस स्थिति में पशुपालक को बीमा विभाग को सूचना देनी होगी। सूचना प्राप्त होने के 1 दिन के भीतर बीमा विभाग पशु का री-टैगिंग करवाकर पॉलिसी एवं सॉफ्टवेयर में नये टैग की प्रविष्टि करेगा। पशुपालक द्वारा पशु की बिक्री / उपहार दिये जाने की स्थिति में बीमा पॉलिसी समाप्त मानी जायेगी। बीमित पशु की मृत्यु होने पर पशुपालक द्वारा शीघ्र ही इसकी सूचना बीमा विभाग को देनी होगी।बीमा प्रतिनिधि द्वारा सर्वे तथा पशु चिकित्सक द्वारा मृत पशु का पोस्टमॉर्टम परीक्षण कर समस्त प्रक्रिया को निर्धारित सॉफ्टवेयर / ऐप में इन्द्राज किया जायेगा। बीमा विभाग द्वारा 21 कार्य दिवस के भीतर मृत बीमित पशु की दावा राशि का भुगतान सम्बन्धित पशुपालक को किया जायेगा।
योजना के तहत किसी भी प्राकृतिक या आकस्मिक दुर्घटना जैसे आग लगने, सडक दुर्घटना, आकाशीय बिजली गिरने, प्राकृतिक आपदा, जहरीला घास खाने या सर्प/कीडा काटने, किसी बीमारी आदि में मृत्यु होने पर बीमा क्लेम मिलेगा। पशुपालक को बीमा पॉलिसी जारी होने पर दुर्घटना जैसे आग लगने, सड़क दुर्घटना, आकाशीय बिजली गिरने, प्राकृतिक आपदा, जहरीला घास खाने या सर्प / कीड़ा काटने की स्थिति को छोड़ कर 21 दिवस के ग्रेस पीरियड के बाद ही पशु की मृत्यु होने की स्थिति में क्लेम / दावा भुगतान का लाभ दिया जायेगा। दावा भुगतान की जानकारी हेतु एक मैसेज पशुपालक के मोबाईल नम्बर पर प्रेषित किया जायेगा। मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना में आवेदन के लिए पशुपालक का जन आधार कार्ड, आवेदक पशुपालक एवं पशु के साथ फोटो, जाति प्रमाण-पत्र, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, गोपाल कार्ड / लखपति दीदी कार्ड (यदि कोई हो तो) और पशुओं के टैग नंबर की आवश्यकता होगी ।