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‘फ़किरीयत’ फिल्म में दिखेगा गुरु-शिष्य का आध्यात्मिक संवाद और श्रद्धा का संघर्ष

गुरु-भक्ति, क्रियायोग और आत्मबोध की अनुभूति कराने वाली यह फिल्म 28 नवम्बर को होगी रिलीज़, हिमालय की गुफ़ाओं से निकली बाबाजी की दिव्य महिमा और उनकी शिष्या की गुरु-निष्ठा पर आधारित फ़िल्म

सुरेश गांधी

वाराणसी : हिमालय की गूढ़ तपोभूमि में युगों से साधनारत रहस्यमयी योगी महावतार बाबाजी की दिव्य गाथा अब रूपहले पर्दे पर जीवंत होने जा रही है। ‘फ़किरीयत’ नामक यह हिंदी फ़िल्म केवल बाबाजी की महिमा का प्रवास नहीं, बल्कि उनकी शिष्या गुरूमाई मां रुद्रात्मिका के गुरु-आदेश पालन और उनके आध्यात्मिक संघर्ष की भावनात्मक दास्तान है। पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में फ़िल्म की निर्माता डॉ.अनुजा अंकुश जानवलेकर (गुरूमाई मां रुद्रात्मिका) ने बताया कि ‘फ़किरीयत’ 28 नवम्बर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। यह फ़िल्म भद्रबाहू डिवाइन क्रिएशन्स एलएलपी के बैनर तले बनी है और इसका निर्देशन संतोष मांजरेकर ने किया है। फ़िल्म की कथा गुरूमाई मां द्वारा लिखित ग्रंथों ‘चिरुट जलती है’ और ‘अध्यात्म : एक विद्रोह, एक क्रांति’ से प्रेरित है। पटकथा लेखन अनिल पवार ने किया है और संवाद मां रुद्रात्मिका के साथ मिलकर तैयार किए हैं।

गुरूमाई ने कहा, “फ़किरीयत एक वृत्ति है, जो ज्ञान, त्याग और महानता को अभिव्यक्त करती है। बाबाजी और अन्य संत सीमाओं से परे हैं – धर्म, जाति और देश के बंधनों से मुक्त। उनका वैराग्य ही उनकी असली शक्ति है।” फ़िल्म में महावतार बाबाजी, श्री रामकृष्ण परमहंस, श्री स्वामी समर्थ, शंकर महाराज, बाबा कालभैरव, भद्रबाहू, हेडाखान बाबा, माँ काली और गुरूमाई रुद्रात्मिका के जीवन प्रसंगों को सजीव किया गया है। फ़िल्म के कलाकारों में दीपा परब, उदय टिकेकर, संदेश जाधव, विनीत शर्मा, अक्षय वर्तक, अनीषा सबनीस और संतोष जुवेकर प्रमुख हैं। गीतकार समृद्धि पवार के लिखे गीत, ‘चलो चले हम बाबाजी के देस’, ‘गुरु मैं तेरे शरण’, ‘इतना गुरूर मत कर’, को प्रवीण कुंवर ने संगीतबद्ध किया है। गायन मनीष राजगिरे, मनोज मिश्रा, जसराज जोशी और नेहा राजपाल ने किया है। पत्रकार वार्ता में एक्ज़िक्यूटिव प्रोड्यूसर अमित भावे, कुमार खोत, दया मावले और संतोष सोलापुरकर भी उपस्थित रहे।

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