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आत्मनिर्भर अभियान के तहत 20 लाख करोड़ में से 40 हजार करोड मनरेगा को आवंटित

कन्हैया पांडे

सरकार की पांचवें दौर की घोषणाएं

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड़-19 महामारी से लड़ने के लिए घोषित 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के सिलसिलेवार वितरण की प्रक्रिया में 17 मई 2020 को वित्त मंत्री ने अपनी पांचवी और आखरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने 7 बड़े सुधारों की घोषणा की इसमें मुख्यतः मनरेगा, स्वास्थ्य और शिक्षा, डिस्क्रिमिनेशन आफ कंपनी एक्ट, व्यापार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग, ईज आफ डूइंग बिजनेस और राज्यों से संबंधित मुद्दे शामिल थे।

वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार ने इस 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज से मनरेगा के लिए 40 हजार करोड रुपए आवंटित किए हैं जिससे 300 करोड़ रोजगार का सृजन होगा, इस फंड का प्रयोग नए रोजगार सृजन और नए जॉब कार्ड के लिए किया जाएगा। इस प्रक्रिया में विशेषकर उन प्रवासी भारतीयों को प्राथमिकता दी जाएगी जो लाकडाउन के कारण अपने गांव की ओर वापस आए हैं।

वित्त मंत्री ने आगे ने आगे कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के खर्च को बढ़ाया गया है सरकार इन क्षेत्रों के आधारभूत संरचना बदलने के लिए प्रतिबद्ध है अब सभी जिलों में संक्रमित रोगों के लिए एक ब्लॉक स्टेप बनाया जाएगा इसी के साथ देश के हर जिले में पब्लिक लैब की घोषणा की गई है। राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल डिजिटल हेल्थ ब्लूप्रिंट तैयार किया जाएगा और स्वास्थ्य क्षेत्र में शोध को और बढ़ावा दिया जाएगा।

देश के 100 बड़े विश्वविद्यालयों को एक ऑनलाइन कोर्स चलाने की अनुमति दी गई जिसका शीर्षक होगा ‘Mandodarpan’ यह एक ऐसा प्रयास होगा जो विद्यार्थियों, उनके परिवारों और अध्यापकों को सामाजिक और मानसिक स्तर पर सहयोग उपलब्ध कराएगा। इसी क्रम में e-vidya प्रोग्राम की शुरुआत की गई है जो ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा देगा। इसी प्रक्रिया के तहत एक ऐसे टेलीविजन चैनल की शुरुआत की जाएगी जिसका उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक कि विद्यार्थियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करना।

वित्त मंत्री ने आकर कहा की बैंक धोखाधड़ी और दिवालियापन से संबंधित इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड में बदलाव किया जाएगा इसके सेक्शन 240A के तहत एक विशेष इंसॉल्वेंसी फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा जिसमें दिवालिया शोधन प्रक्रिया शुरू करने के लिए फंसे कर्ज की राशि को 1लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया जाएगा ऐसा करने से एमएसएमई को लाभ पहुंचेगा। कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्ज की किश्त चुकाने में असमर्थ पा रही कंपनियों पर दिवालिया संहिता के तहत एक साल तक कोई कार्यवाही नहीं होगी।

आगे सुधारों को बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनी कंप्लायंस एक्ट में बदलाव होगा। कंपनी एक्ट में 7 कानून अपराध की श्रेणी से हट जाएंगे तकनीकी और प्रक्रिया से संबंधित गलतियों को अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाएगा अब अट्ठारह के बजाय 58 मामलों की कोर्ट की सुनवाई नहीं होगी कंपनी के रीजनल डायरेक्टर की शक्ति को और बढ़ाया जाएगा भारतीय कंपनियां सीधे विदेशों में लिस्टिंग कर सकेंगी निजी कंपनियां जो शेयर बाजारों में गैर परिवर्तनीय डिबेंचर सूचीबद्ध कराती हैं।

उन्हें भी सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में माना जाएगा एक्ट का डिक्रिमिनलाइज किया गया है इसके तहत एक ऐसे आंतरिक समन्वय मैकेनिज्म की शुरुआत की गई है जिसमें सरकार द्वारा एक नई सार्वजनिक क्षेत्र नीति लाई जाएगी यह नीति निजी क्षेत्र को सरकार के मुख्य क्षेत्रकों को में सार्वजानिक क्षेत्र के साथ ही उपलब्ध कराएगी। इस नई नीति में समस्त आर्थिक क्षेत्र को स्ट्रैटेजिक सेक्टर और बाकी सेक्टर में बांटा जाएगा। स्टडीक सेक्टर जिसमें पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज मौजूद रहेंगी उसकी अधिसूचना दे दी जाएगी ऐसे सेक्टर में 4 से ज्यादा पीएसी शामिल नहीं हो सकेंगे इन क्षेत्रों में निजी क्षेत्र को भी अपनी भूमिका निभानी होंगी।

अपनी कांफ्रेंस के अंत में वित्त मंत्री ने कहा अप्रैल के पहले सप्ताह में एसडीआरएफ के लिए एडवांस 11092 करोड रुपए का फंड रिलीज किया गया और एंटी कोविड़ गतिविधियों के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने 41013 करोड रुपए के पैकेज की भी घोषणा की। राज्य स्तर के सुधारों को बढ़ावा देने के लिए उधार के एक हिस्से को निवेश के माध्यम से रोजगार बढ़ाने और शहरी विकास स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देने जैसे जरूरी कामों में जोड़ा जाएगा।

कितना होगा फायदा?

वित्त मंत्री द्वारा लगातार 5 प्रेस कॉन्फ्रेंस की अगर समीक्षा की जाए तो यह समझ में आता है कि कोरोना महामारी से जूझ रहे देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना टेढ़ी खीर है। ऐसे में यह महा आर्थिक पैकेज अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम करेगा जो वर्तमान दौर के लिए अपरिहार्य था। इन मैराथन घोषणाओं के बाद सरकार की अब बड़ी जिम्मेदारी इनके क्रियान्वयन की होगी अगर क्रियान्वयन ढंग से नहीं हो सका तो सरकार के ये सारे प्रयास ढाक के तीन पात ही साबित होंगे।

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